
✍️ अनीता गुलेरिया
दिल्ली : छावला पुलिस को रात दस बजे झटीकरा मोड़ पर कलस्टर बस व स्विफ्ट कार एक्सीडेंट होने की सूचना मिली। मौके पर पहुंचे एसआई सुरेश कुमार ने गलत दिशा में आ रही कलस्टर बस की जोरदार टक्कर से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई कार में फसे चार लोगों को बाहर निकालते हुए घायल-अवस्था में राव तुला राम अस्पताल में भर्ती करवाया। गलत दिशा में आ रही कैर-डिपो की बस का मुआयना करने पर चालक को मौके से गायब पाया गया।
द्वारका डीसीपी संतोष कुमार मीना अनुसार चारों घायल युवकों की मौत हो चुकी है। मृतक युवकों की पहचान प्रदीप (32) श्याम विहार फेज-2 गंभीर स्थिति के चलते सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। दूसरे मृतक का नाम कुलदीप (30) शिवपुरी से, द्वारका वेंकटेश्वर अस्पताल में मौत हो गई प्रदीप और कुलदीप दोनों सगे भाई थे । तीसरा मृतक अखिल (35) दीनपुर के मुनिरका कुंज से है । साहिल (32) दीनपुर से द्वारका के आकाश अस्पताल में उसकी स्थिति अति नाजुक बनी हुई थी, लेकिन कुछ घंटों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे चौथे घायल की भी मौत हो गई। पुलिस अनुसार इस अतिभयंकर सड़क दुर्घटनाग्रस्त हादसा होने का मुख्य कारण कलस्टर बस चालक का गल्त दिशा में होना बताया जा रहा है । बस चालक नशे में था या नही, आखिर वह किस कारण से बस को गलत-दिशा में चला रहा था यह यह प्रशासनिक-विभाग द्वारा मुख्य तौर पर गहन-जांच का विषय है। पुलिस सड़क दुर्घटना मद्देनजर आईपीसी 279/337/ 304 धारा तहत मामला दर्ज कर फरार चल रहे आरोपित कलस्टर चालक की गहनता से तलाश जांच में जुटी है। इस तरह एक बार फिर दिल्ली की ऑरेंज क्लस्टर बस चालक की लापरवाही ने एकसाथ चार लोगों पर मौत का कहर बरपाया।
सूत्रों-मुताबिक दिल्ली क्लस्टर बसों के प्राइवेट चालको का बिना परीक्षण के भर्ती किए जाना ही कुछ वर्षों के आंकड़ों मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर क्लस्टर बसों का आए दिन लोगों की अमुल्य जिंदगीयो पर मौत का कहर बरपाना अक्सर जारी है । क्या,दिल्ली परिवहन-मंत्री कैलाश गहलोत आंरेज-क्लस्टर बसों द्वारा आए दिन हो रहे सड़क दुर्घटनाग्रस्त हादसो प्रति गंभीरता से दोषी चालको प्रति उच्च-स्तरीय जांच करके दिल्ली निवासियों के दिल में हर समय क्लस्टर बसों प्रति बनती जा रही असुरक्षित भावना (डर) को दूर कर सडक (जन-संरक्षण) सुविधा प्रति अपना विश्वास कायम कर पाएंगे ? या फिर दिल्लीवासियों को आए दिन खूनी बनी क्लस्टर बसों का निवाला बनने को मजबूर होना पड़ेगा? क्या क्लस्टर बसों प्रति दिल्ली परिवहन निगम की कोई मुख्य जिम्मेदारी नहीं बनती है ? आखिर दिल्ली परिवहन विभाग इन गम्भीर जानलेवा हादसों प्रति मूकदर्शक बनकर हजारो जिंदगीयो के साथ खिलवाड़ करने पर क्यों अमादा है ? सरकार की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते रोजमर्रा इस तरह सड़क हादसों को देखते हुए लगता है दिल्ली की सड़कों से (ब्लू-लाइन) के बाद अब इन क्लस्टर बसों को हटाया जाना अतिअनिवार्य हो गया है । क्या जनता के (टैक्स) पैसे से सरकार दिल्ली वासियों को इस तरह रोड पर असुरक्षित (जानलेवा) सुविधा मुहैया करवाएंगी? यह दिल्ली निवासियों को कतई भी बर्दाश्त नहीं होगा।