- स्नेहा एनजीओ ने 6 राज्यों में ज्ञान के प्रसार के लिए लॉन्च किए नॉलेज सेंटर
मुंबई : सोसाइटी फॉर न्यूट्रीशन, एजुकेशन एंड हेल्थ एक्शन (स्नेहा) एनजीओ ने अपनी 25वीं वर्षगांठ के मौके पर हाल ही में अपने नॉलेज सेंटर खोलने की घोषणा की है। स्नेहा की 25 वर्षों की विशेषज्ञता के आधार पर स्नेहा नॉलेज सेंटर की नई पहल का उद्देश्य पूरे भारत में संस्थानों के साथ स्नेहा के ज्ञान के भंडार और अनुभव को साझा करना है। एनजीओ 3 चरणों में अपने नए सेंटर को 6 राज्यों में लॉन्च करेगा और आने वाले वर्षों में अन्य एनजीओ, सरकारी तथा शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी करेगा। ज्ञान के वर्चुअल मंच के साथ-साथ इस पहल के अंतर्गत स्नेहा एकेडमी, लर्निंग पार्टनरशिप और आउटरीच शामिल हैं।
नॉलेज सेंटर के लिए स्नेहा का पूरा ध्यान उत्तरप्रदेश, झारखंड, केरल, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और नई दिल्ली जैसे राज्यों के एनजीओ के साथ साझेदारी करने पर होगा। वहीं इसके पहले चरण में एनजीओ ने सेंटर की वेबसाइट शुरू की है और इसके आगामी चरण में ये एनजीओ प्रमाणित पाठ्यक्रमों के साथ-साथ स्नेहा एकेडमी की भी शुरुआत करने जा रहा है। इस एकेडमी के तहत स्नेहा की टीम अन्य एनजीओ और सरकारी निकायों के कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का भी आयोजन करने वाली है। ये सभी पिछले 2 दशकों के अपने अनुभव साझा करेंगे। आगामी माह में एनजीओ प्रमाणित पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रही है जोकि कम्युनिटी प्रेरित अभियानों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित होगा।
स्नेहा के नॉलेज सेंटर के अलावा, ये प्रमुख सामाजिक मुद्दों से जुड़े परिणामों को लेकर प्रोग्राम की एंडलाइन रिपोर्ट भी जारी करेगा। इसके अंतर्गत मां तथा शिशु की सेहत, किशोरों के स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के साथ-साथ बच्चों में सुरक्षा तथा बचाव को भी सुनिश्चित करने जैसे मुद्दे शामिल होंगे। एहसास (एम्पावरमेंट, हेल्थ एंड सेक्सुअलिटी ऑफ एडोलसेंट), एंडलाइन रिपोर्ट, पीवीसी (प्रिवेंशन ऑफ वॉयलेंस अगेंस्ट चिल्ड्रन), एंडलाइन सर्वे रिपोर्ट और मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ इंटरवेंशन इवेल्युएशन सर्वे नाम की रिपोर्ट्स में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तथा वंचित लोगों में इन मुद्दों से लड़ने के प्रयासों के बारे में चर्चा की गई है।
एहसास एंडलाइन रिपोर्ट (2021-23) की कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
99% किशोरियां मासिक धर्म से सुरक्षा के लिए स्वच्छ तरीकों का इस्तेमाल कर रही थीं और माहवारी के अंत में खुद को साफ करने के लिए 98% किशोरियां साबुन और पानी का प्रयोग कर रही थीं।
किशोर-किशोरियों के आहार में पर्याप्त आहारीय विविधता थी जिसमें बेसलाइन से लेकर एंडलाइन तक 32% से लेकर 41% तक का सुधार हुआ
शुरुआत से लेकर अंत तक कम वजन होने की समस्या 34% से घटकर 31% हो गई
प्रोजेक्ट के दौरान मध्यम से लेकर उच्च श्रेणी में एनीमिया को लेकर जानकारी 20% से बढ़कर 79% हो गई।
प्रोजेक्ट के दौरान किशोर-किशोरियों में यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर जानकारी 16% से बढ़कर 84% पहुंच गई।
लिंग समानता को लेकर किशोर-किशोरियों के नजरिए में 52% से बढ़कर 72% का सुधार देखा गया।
पीवीसी एंडलाइन सर्वे रिपोर्ट (2022-24) की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
बच्चों की चिंताएं और परेशानियों की समझ को लेकर अभिभावकों और बच्चों में संवाद 62% से बढ़कर 77% हो गया।
माता-पिता द्वारा अनुशासन सिखाने के नकारात्मक तरीकों जैसे हाथ, पैर और हथेलियों पर मारने जैसी शारीरिक सजा देने का प्रतिशत 77% से घटकर 58% हुआ।
हालांकि, प्रोजेक्ट के दौरान चीखने-चिल्लाने (88%) के रूप में मनोवैज्ञानिक आक्रमकता अभी भी उतनी ही है।
बच्चों की सुरक्षा के मामलों में कहां रिपोर्ट करें और किस प्रकार सहायता मांगें, इसको लेकर प्रोजेक्ट के दौरान बच्चों और अभिभावकों में जानकारी बढ़ी है। बच्चों में चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) को लेकर जागरूकता सबसे ज्यादा बढ़ी है, जोकि 23% की बेसलाइन से 56% की एंडलाइन तक पहुंची है।
स्नेहा मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ इंटरवेंशन इवॉल्यूशन सर्वे (2021-24) की कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
पांच साल तक के बच्चों में बौनापन (बच्चों की उम्र के हिसाब से उनकी लंबाई के अनुसार ये कुपोषण के एक प्रकार को दर्शाता है) 34% से घटकर 30% हो गया
बच्चों में सप्लीमेंटरी डाइट की शुरुआत में 60% से 77% का सुधार हुआ
6-23 महीने के बच्चों में आहार विविधता 24% से बढ़कर 35% हो गई।
बच्चों का पूर्ण टीकाकरण 77% से बढ़कर 82% हो गया।
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया 43% से घटकर 39% हो गया।
मांओं और शिशुओं के स्वास्थ्य विषयों पर पर्याप्त जानकारी देने वाले स्वयंसेवकों की संख्या 16% से बढ़कर 56% हो गई।
नॉलेज सेंटर के लॉन्च और रिपोर्ट के परिणामों पर अपनी राय देते हुए,वैनेसा डिसूजा, सीईओ, स्नेहा ने कहा, “स्नेहा ने कमजोर शहरी समुदायों के स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार लाने के लिए बहुत प्रयास किये हैं। हमारी रिपोर्ट के निष्कर्ष न केवल मुंबई में रहने वाले समुदायों की चिंताओं के बारे में बताते हैं, बल्कि वे पूरे देश में समुदायों द्वारा सामना किए जाने वाले ऐसे ही मुद्दों को भी उजागर करते हैं। हमसे पिछले दशक में भारत भर के कई गैर सरकारी संगठनों और संस्थानों से उनके द्वारा लागू किए जा सकने वाले समाधानों के लिए सवाल पूछे गए थे। आवश्यकता और ज्ञान की कमी ने ही हमें स्नेहा नॉलेज सेंटर लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया। हमारा मानना है कि हमारा अनुभव और सीख, अन्य गैर सरकारी संगठनों और सरकारी निकायों को महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के इन लंबे समय से चले आ रहे जटिल मुद्दों से निपटने में मदद कर सकता है।”
“हाल ही में एनजीओ द्वारा आयोजित ‘इक्विटी इन हेल्थकेयर’ नामक एक कार्यक्रम में ये घोषणाएं की गई थीं। एनजीओ ने सरकारी संस्थानों, निजी संगठनों और एनजीओ में विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के साथ कई सत्र आयोजित किए, जिसमें कई सामाजिक मुद्दों और उनके समाधानों पर चर्चा की गई।”