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ज्‍यू‍पिटर हॉस्पिटल ने मरीजों की सुरक्षा पर नई-नई जानकारियों के लिये कॉन्‍क्‍लेव का आयोजन किया

ठाणे : टेक्‍नोलॉजी, इनोवेशन और इलाज के नये-नये तौर-तरीकों से भारत में हेल्‍थकेयर के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है। इससे मरीजों की सुरक्षा को बेहतर बनाने से लिहाज से इनमें कई अवसर सामने आ रहे हैं तो कई चुनौतियां भी देखने को मिल रही हैं।

मरीज की सुरक्षा के लिये एक व्‍यापक नजरिये और स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा पेशेवरों समेत सभी हितधारकों की भागीदारी जरूरी होती है, इसलिये ज्‍यूपिटर हॉस्पिटल ने 13 जनवरी को अपने पेशेंट सेफ्टी कॉन्‍क्‍लेव 2024 के दूसरे संस्‍करण का आयोजन किया था। यह आयोजन ठाणे के होटल फॉर्च्‍यून पार्क लेकसिटी में इस‍ विषय के महत्‍वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिये हुआ था।

इस कॉन्‍क्‍लेव में शीर्ष अस्‍पतालों, प्रमुख प्रबंधन संस्‍थानों, फार्मा एवं मेड-टेक कंपनियों, नैदानिक सुविधाओं तथा सरकारी निकायों के 150 से ज्‍यादा पेशेवरों ने विभिन्‍न विषयों पर परामर्श किया। इन विषयों में शामिल थे – नेतृत्‍व के सबक, डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य, सर्जिकल ऑपरेशंस में क्रिटिकल केयर, कम्‍युनिकेशन और सुरक्षा की जरूरतें, अंतर-औद्योगिक शिक्षाएं और नर्स एलेक्‍सा जैसी टेक्‍नोलॉजी का अभिनव तरीके से इस्‍तेमाल, आदि।

इस कॉन्‍क्‍लेव के उद्घाटन पर बात करते हुए, ज्‍यूपिटर हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के डायरेक्‍टर और पेशेंट सेफ्टी एण्‍ड क्‍वालिटी के हेड डॉ. अमित सराफ ने कहा कि बीते वर्षों में टेक्‍नोलॉजी की प्रगति ने सुरक्षित एवं सटीक सेवाएं प्रदान करने में स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा पेशेवरों की सहायता की है। डॉ. सराफ ने कहा, ‘इससे हेल्‍थकेयर के क्षेत्र में कुल मिलाकर मरीज की सुरक्षा भी बढ़ी है। हालांकि प्रगति के बावजूद, अभी बहुत कुछ सीखना और करना बाकी है, ताकि मरीज की सुरक्षा पूरी तरह से नहीं, तो लगभग पुख्‍ता जरूर हो जाए।’’ उन्‍होंने कहा कि इस कॉन्‍क्‍लेव के पीछे का उद्देश्‍य एक अंतर्विषयक चर्चा सुनिश्चित करना था, ताकि देश में मरीजों की सुरक्षा को और मजबूत बनाया जा सके।

स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा उद्योग के दिग्‍गजों ने भारत में स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा के विकसित हो रहे परिदृश्‍य और भविष्‍य के मार्ग पर बात की। उन्‍होंने आगे की चुनौतियों और अवसरों पर भी बात की, क्‍योंकि देश को ज्‍यादा स्‍वस्‍थ बनाना हमारा लक्ष्‍य है।

इस कॉन्‍क्‍लेव में वि‍शेषज्ञों ने स्‍वास्‍थ्‍य के डिजिटाइजेशन की चुनौतियों, एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की जरूरत और स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा की आपूर्ति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के महत्‍व एवं प्रभाव पर चर्चा की।

एक अन्‍य रोचक बातचीत का विषय था ‘गुरूज़ ऑफ आईआईएम अहमदाबाद: मास्‍टरक्‍लास’। यह विषय इस पर आधारित था कि स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा कंपनियाँ और पेशेवर किस तरह से प्रबंधन, संचार एवं डिजाइन के सिद्धांतों पर क्रियान्‍वयन करते हुए अस्‍पतालों में विश्‍व-स्‍तरीय सेवाएं और पूरक सुरक्षा दे सकते हैं।

ज्‍यूपिटर हॉस्पिटल्‍स की ग्रुप सीओओ डॉ. शिल्‍पा तताके ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा पेशेवरों को बेहतर प्रशिक्षण एवं शिक्षा देकर,उनके साथ स्‍पष्‍ट बातचीत करके और टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल करते हुए मरीज की सुरक्षा को और भी बढ़ाया जा सकता है। डॉ. तताके ने कहा, ‘हम अपने सहकर्मियों और साथी स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा विशेषज्ञों से सीख ही नहीं सकते हैं, बल्कि अंतर-औद्योगिक/क्षेत्रीय गठजोड़ तथा आकांक्षाओं के माध्‍यम से मरीजों को अच्‍छी सेहत देने का तरीका भी बेहतर बना सकते हैं।’’

एसेंशियल्‍स ऑफ क्रिटिकल केयर और सर्जिकल ओपेरा विषयों पर दो पैनल चर्चाओं ने क्रिटिकल केयर में सुरक्षा के पहलूओं पर रोशनी डाली और इसके खर्च भी सामने रखे। ई-आईसीयू के अनोखे विषय पर भी चर्चा हुई और बताया गया कि बेहतर संचार एवं तरीकों से किस प्रकार ऑपरेशन थियेटर्स में सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।

स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा पेशेवरों के लिये एक चिकित्‍सकीय सहायता के तौर पर टेक्‍नोलॉजी की चर्चा में नर्सिंग जैसे विषयों में उसकी महत्‍वपूर्ण भूमिका पर एक रोचक बहस भी हुई। एआई से पावर्ड अभिनव वर्चुअल नर्स, नर्स एलेक्‍सा की क्षमता पर बात भी हुई।

अंत में, इस कॉन्‍क्‍लेव ने मरीज की सुरक्षा के लिये एक एकीकृत नजरिये पर जोर दिया। इससे पारदर्शिता को प्रोत्‍साहन मिला है और वास्‍तविक तथा सत्‍यापित होने योग्‍य डाटा के आधार पर निर्णयों और विनियमों को बढ़ावा मिला है। मरीज की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिये प्रशिक्षण एवं तकनीकी अपग्रेड्स के माध्‍यम से समय और संसाधनों के बेहतर आवंटन पर भी बात हुई।

इस कॉन्‍क्‍लेव ने स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा पेशेवरों को विचारों का नेतृत्‍व करने वालों से जुड़ने, युक्तियाँ साझा करने और एक-दूसरे को ज्ञान से सशक्‍त करने का एक मंच दिया। विविधतापूर्ण चर्चाओं और पैनल सत्रों में सहकार्य जैसा उत्‍साह दिखाई दिया।

स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा के भविष्‍य और उसे आकार देने में हम सभी की भूमिका को लेकर उत्‍साह बढ़ाने वाले कॉन्‍क्‍लेव ने खरी बातों और सीख के लिये प्रेरणा दी। मरीज की सुरक्षा एवं सेहत के लिये प्रतिबद्धता को नयापन भी मिला।

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