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Poem : मजबूर लड़की

✍️ वंशिका यादव (बाराबंकी, उत्तर प्रदेश)

क्यों दुनिया की कमजोरी,
और लड़की की मजबूरी।
क्यों लड़की खून के आँसू रोती है,
क्यों दुनिया खून पीती है।

क्या लड़कियों की औकात होती है,
वो उसे दुनिया दिखाती है।
कितनी वह कमजोर होती है,
वो औकात दिखाती है।

छुपके रो लेती है वो,
किसी से कुछ नही कहती है।
हमेशा चुप ही तो रहती है,
और आंसू की मोती बिखर जाती है।

किसी लड़की की कहानी लिखते हुए,
जब गला रुंध जाता है।
छुप के रो लेती हूँ मै,
और साँप सूंघ जाता है।

मैं लिख ही रही थी कुछ,
तो सामने आ जाती है वह लड़की।
जिसे माँ सहित दुनिया सुनाती है,
क्यों बनके आई तु एक लड़की।

कभी जब रो लेती हूँ,
तो सुकूँ मिल जाता है।
गिर जाती है जब मोतियाँ आखों से,
तो दरिया डूब ही जाता है।

तभी माँ पूछ ही बैठती है,
तु शांत रहती क्यों नहीं।
हमेशा के लिए ओढ़कर कफन,
तु यार सोती क्यों नहीं।

कभी जब लड़की सोच लेती हैतो
कुछ मोतियाँ आंखो में आ ही जाती हैं।
लगाकर वो फंदा फाँसी का,
वहीं पर सो जाती है।

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