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बुलंद हौंसले : आसमान में दस्तक

✍️  वीरेन्द्र बहादुर सिंह

वर्जिन गैलेक्टेटिक स्पेसशिप ने 11 जुलाई, रविवार की शाम अंतरिक्ष की दुनिया में कदम रख दिया। इसी के साथ वर्जिन गैलेक्टेटिक के मालिक निजी स्पेसशिप से अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले उद्योगपति बन गए हैं।इस स्पेसशिप में उनके साथ जाने वाले 5 लोगों में भारतीय मूल की सिरिशा बांदला भी थीं। उन्होंने अंतरिक्ष की यह यात्रा कर के अपने परिवार का ही नहीं, एक तरह से देश का भी नाम रोशन किया है।

एक कहावत है, “मेरे अंदर हौसला अभी जिंदा है, हम वो हैं जहां मुश्किलें भी शर्मिंदा हैं।” कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अब इस कहावत को चरितार्थ किया है पूरी दुनिया में भारत का लोहा मनवाने वाली और एक नया इतिहास रचने वाली आंध्र प्रदेश के गुंटूर की रहने वाली सिरशा बांदला ने। सिरिशा बांदला भारत की ओर से अंतरिक्ष में गई हैं। भारत की ओर से अंतरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला के बाद वह दूसरी लड़की हैं और भारतीय मूल की चौथी। इनसे पहले राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं।

अंतरिक्ष में जाने वाली सिरशा बांदला का जन्म 1987 में आंध्र प्रदेश के जिला गुंटूर शहर में ही डाक्टर मुरलीधर बांदला और अनुराधा बांदला के घर हुआ था। उनका एक भाई भी है गणेश बांदला। फिलहाल उनका परिवार अमेरिका में ह्यूस्टन, टेक्सास में रहता है। उनका पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई ह्यूस्टन टेक्सास में ही हुई है। उनके पिता डाक्टर मुरलीधर बांदला एक वैज्ञानिक हैं। वह अमेरिकी सरकार में सीनियर एग्जीक्यूटिव सर्विसेज के सदस्य भी हैं। पिता अमेरिका में रहते थे, इसलिए सिरिशा का बचपन अमेरिका में ही बीता। वैज्ञानिक बाप की बेटी होने की वजह से उन्होंने राकेट और स्पेसक्राफ्ट बहुत नजदीक से देखा था। आसमान में राकेट को उड़ता देख कर उनके मन में स्पेस के बारे में जिज्ञासा होती थी। पर उस समय तो उन्हें यह सपना लगता था। उन्होंने तब नहीं सोचा था कि आगे चल कर उनका यह सपना पूरा भी होगा।

सिरिशा ने पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से एयरोनाॅटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और उसके बाद जार्जटाउन यूनिवर्सिटी से मास्टर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) किया। पढ़ाई पूरी होने के बाद वह एयरफोर्स में भर्ती हो कर पायलट बनना चाहती थीं। लेकिन आंख में कोई समस्या होने की वजह से उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। तब किसी और की छोड़ो, उन्होंने भी नहीं सोचा था कि आगे चल कर वह मां-बाप का ही नहीं, देश का भी नाम रोशन करेंगीं। वह एयरफोर्स में नहीं जा सकीं तो टेक्सास की एक एयर स्पेस कंपनी में इंजीनियर की नौकरी कर ली। इसके बाद कामर्शियल स्पेस फ्लाइट फेडरेशन में काम किया।
सन् 2015 में वर्जिन गैलेक्टेटिक कंपनी में नौकरी कर ली। बहुत ही कम समय में वह कंपनी में सरकारी कामों की वाइस प्रेसिडेंट हो गईं। जल्दी ही उन्होंने 747 विमान का उपयोग कर के अंतरिक्ष में एक उपग्रह भी पहुंचाया। अपनी प्रतिभा की ही बदौलत मात्र 6 साल की नौकरी में सीनियर पद हासिल कर आज उद्योगपति रिचर्ड ब्रैनसन की स्पेस कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक्स के अंतरिक्ष यान वर्जिन ऑर्बिट से 11 जुलाई को वह अंतरिक्ष की यात्रा कर आईं।
रिचर्ड ब्रैनसन सहित 6 अंतरिक्ष यात्रियों में एक सिरशा बांदला भी थीं। इस घोषणा के बाद सिरशा बांदला ने ट्नीट किया था कि “मुझे यूनिटी-22 क्रू और उस कंपनी का हिस्सा होने पर गर्व महसूस हो रहा है।”

फिलहाल वह वर्जिन ऑर्बिट के वाशिंगटन ऑपरेशंस के पद को संभाल रही हैं। रिचर्ड ब्रैनसन ने 1 जुलाई को घोषणा की थी कि उनकी अगली अंतरिक्ष यात्रा 11 जुलाई को होगी। तभी उन्होंने कहा था कि इस अंतरिक्ष यात्रा में उन्हें मिला कर कुल 6 लोग होंगें।

उनका कहना था कि अंतरिक्ष में किसी बाहरी को भेजने के बजाय पहले वह अपनी कंपनी के कर्मचारियों को मौका देंगे। इससे उनकी कंपनी द्वारा तैयार किए गए अंतरिक्ष यान की अच्छी तरह जांचपरख हो जाएगी। उनकी कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक आम लोगों के लिए अंतरिक्ष यात्रा आसान बनाना चाहती है। वर्जिन ऑर्बिट अंतरिक्ष यान को कैरियर प्लेन कास्मिक गर्ल द्वारा पृथ्वी से लगभग 35 हजार फुट की ऊचाई पर ले जाया गया।

रिचर्ड ब्रैनसन ने जब सिरिशा के नाम की घोषणा की तो उनके घर वाले ही नहीं, भारत के लोगों को भी उस पर गर्व महसूस हुआ। कल्पना चावला के बाद भारत में जन्मी वह दूसरी ऐसी महिला थीं, जो अंतरिक्ष की यात्रा कर आई हैं। इस अंतरिक्ष यात्रा में एक महिला यात्री और शामिल थी, जिसका नाम है बेश मोसेस। सिरिशा ने यह मुकाम हासिल करने के लिए रातदिन मेहनत की है।

सिरिशा तेलगू एसोसिएशन आफ नार्थ अमेरिका (टीएएनए) की सदस्य भी हैं। यह उत्तरी अमेरिका का सब से बड़ा और पुराना इंडो अमेरिकन संगठन है। कुछ साल पहले ही इस संगठन ने सिरिशा को यूथ स्टार अवार्ड से नवाजा था।

इसके अलावा सिरिशा अमेरिका एस्ट्रोनाॅटिकल सोसायटी एंड फ्यूचर स्पेस लीडर्स फाउंडेशन के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में भी शामिल हैं। साथ ही पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के यंग प्रोफेशनल एडवाइजरी काउंसिल की सदस्य भी हैं।
सिरशा बांदला मैक्सिको से विंग्ड राकेट शिप द्वारा अंतरिक्ष की यात्रा के लिए उड़ान भरेंगीं। वह ह्युमन टेंडेड रिसर्च एक्सपीरियंस की इंचार्ज भी थीं। जिसकी वजह से उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एस्ट्रोनाॅट पर होने वाले असर का अध्ययन भी किथा।

अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने वाली सिरशा के कृषि वैत्ज्ञानिक दादा, जो आंध्रप्रदेश के गुंटूर में रहते हैं का कहना था कि उन्होंने सिरिशा में कुछ बड़ा हासिल करने का उत्साह हमेशा देखा था। आखिरकाल अब उन्होंने अपना सपना पूरा कर ही लिया है। उन्हं विश्वास था कि सिरशा अपनी यह यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर अपना ही नहीं, देश का भी नाम रोशन करेगी। जिस पर पूरा देश गर्व महसूस करेगा। और सचमुच आज उनकी यात्रा के बाद सभी गर्व महसूस कर रहे हैं।

यह यात्रा पूरी करने के बाद सिरशा बांदला की क॔पनी के मालिक 71 साल के रिचर्ड ब्रैनसन ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनकी कंपनी वर्जिन गैलेक्टेटिक की टीम की यह 17 साल की मेहनत का परिणाम है। अंतरिक्ष में जाने वाले स्पेसशिप के उड़ान भरने से ले कर वापस आने में कुल एक घंटे का समय लगा। इस यात्रा पर जाने वाले सभी लोगों ने अंतरिक्ष में करीब 5 मिनट तक रुक कर भारहीनता का अनुभव किया।

इस यात्रा पर जाने वाला वर्जिन गैलेक्टेटिक वीएसएस यूनिटी अंतरिक्ष यान है। मौसम खराब होने की वजह से मैक्सको से तय से करीब 90 मिनट की देरी से उड़ान भरी। इस विमान में सिरशा बांदला के अलावा 5 अन्य लोग शामिल थे। उड़ान भरने से पहले सिरशा ने ट्वीट किया था, “यूनिटी 22 के चालक दल का सदस्य और कंपनी का हिस्सा बना कर अभूतपूर्व तरीके बे मुझे सम्मानित किया है, जिसका मिशन अंतरिक्ष को सभी के लिए मुभैया कराना है।”

अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने वाला अंतरिक्ष यान साढ़े 8 मील यानी 13 किलोमीटर की ऊंचाई पर जा कर मूल विमान से अलग हो गया और करीब 88 किलोमीटर की ऊंचाई पर जा कर अंतरिक्ष के छोर पर पहुंच गया, जहां इस यात्रा पर सभी लोगों ने भारहीनता का अनुभव किया।

(लेखक मनोहर कहानियां एवम् सत्य कथा के संपादकीय विभाग में कार्य कर चुके है)

 

 

 

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