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संगम-दिवस : अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और ईद की त्रिधाराओं में डुबकी लगाने का पर्व

  • सलिल पांडेय

मीरजापुर, (उ.प्र.) :  आज अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और ईद की त्रिधाराओं में डुबकी लगाने का पर्व इसलिए आज के दिन को संगम-दिवस कहनाा गलत नहीं होगा।

अक्षय तृतीया

तन-मन-धन का त्रिकोण – रक्तबीज का रक्तपान करती मां काली तन को सुसमृद्ध ब्लड-बैंक बनाए रखें।

मन को काम-क्रोध-मद-लोभ के नरक का एहसास कराती रहें ज्ञान की देवी माँ सरस्वती। सदैव नॉलेज-बैंक को समृद्ध रखें।

धन की देवी मां महालक्ष्मी बुद्धि-विवेक की बौद्धिक सम्पदा दें ताकि विद्वत्वं च नृपत्वं च न तुल्यं कदाचन् , स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते ( राजा और विद्वान को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता क्योंकि राजा,भौतिक सम्पदा वाले का सम्मान, अपने ही क्षेत्र में होता है जबकि विद्वान जहां-जहां जाता है, वहां-वहां उसका सम्मान होता है) ऋषि-वचन जीवन में हर पल साथ रहे।

परशुराम जयंती

पिता के कहने पर मां रेणुका के वध के बाद पुनः जीवित कर देने वाले परशुराम भगवान से सीख लेनी चाहिए कि क्षति का भाव तभी मन में आए जब पुनः सृजित करने की क्षमता हो।

ईद

नींद दो तरह की होती है। श्रीदुर्गासप्तशती में निद्रा को देवी मानकर पूजा की जाती है। निद्रा को निषेध हो दारिद्र्य का भाव में लेना चाहिए। नींद से शरीर ऊर्जावान होता है।

मानसिक-नींद

जागते हुए नींद में रहना यानी स्व-हितार्थ विवेक-शून्य हो जाना। इस नींद से नकारात्मकता का न हटा दिया जाए तो ईद हो जाता है। इस तरह विवेक जागृत करने का पर्व है ईद।

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