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Mirzapur : कारवां गुज़र रहा गुबार देख रहे हम, और लुटे-पिटे हुए सलाम ठोक रहे हम

  • सलिल पांडेय

मिर्जापुर, (उ.प्र.) : कोरोना की सुनामी ने अनगिनत जिंदगियों को जैसे लुढ़का दिया वैसे ही गीतकार नीरज के गीतों की पंक्तियां भी लुढ़क गई हैं जिसे शीर्षक-पंक्तियों में देखा जा सकता है। हवाओं में रुदन है, चीख है, वेदना है और अंतहीन व्यथा तथा कथा है।

बाद मर जाने के मेरे तेरा सलाम आया तो क्या?

कोरोना के दूसरे विभत्स नङ्गे नाच का क्लाइमेक्स अब समापन की ओर है। पश्चिम बंगाल के चुनाव के उफान के साथ कोरोना भी गलबहियां कर तूफान बन गया था। अप्रैल के प्रथम सप्ताह से शुरू मौत के खेल l का पीक 15 मई आंका गया था, जो चुनाव तक खुला खेल फरुर्खाबादी स्टाइल में चला और चुनाव बाद प्रतिबंधों के साथ हो गया। अनुमान जिस तरह लगाया गया था कि 15 मई के बाद दूसरी लहर में कोरोना थक कर थोड़ा आराम करेगा । इज़के बाद तीसरे मैच में नौनिहालों को निगलेगा। बहरहाल कोरोना के मैदान छोड़कर जाने के एलान के बाद मातम-पुर्सी के लिए ताबड़तोड़ दौरे होंगे। गांव-जिले में अस्पतालों को देखकर विकसित राष्ट्रों के अस्पताल लजा जाएंगे। कोरोना-विलाप सम्मेलनों में आंसूओं की जमकर बरसात सावन-भादौ की झमाझम बरसात को भी मात कर देगी।

अब दवा कम्पनियां बच्चों वाली दवा उत्पादन में लग गई होंगी

जब घूरे के दिन लौटते हैं तो दवा तो दुआ है जिंदगी की। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दवा कंपनियों के मायाजाल में हरेक फंसा । उत्पादित सभी दवा खप गई। दवा कंपनियों के रक्षक जाने माने वाले मेडिकल विशेषज्ञों की तो हर बीमारी और बीमारी के अधिष्ठाता देवताओं से बातचीत होती रहती है। बीमारियों के देवताओं ने बताया है कि जून तक कोरोना पिकनिक मनाने के लिए टूर-लिव पर रहेगा और पिकनिक से लौट कर अगली बार नौनिहालों को पंजे में फँसाएगा। इस संवाद के क्रम में स्वाभाविक है कि सभी कम्पनियां *बच्चों की हमदर्द कम्पनियां* हो जाएंगी। तब दूसरी लहर की लूट तीसरी लहर में विकसित रूप में दिखाई देगी।

यूपी की कम्पनी अक्टूबर में आत्म-निर्भर बना देगी

कोरोना का वैक्सिन बनाने के लिए पारदर्शिता के नियम के तहत ग्लोबल टेंडर की तारीख 21 मई है। कोरोना टूर पर रहेगा। वैक्सिन बनता रहेगा। बंपर स्टॉक होने तक पता चलेगा कि टूर से लौटे कोरोना का मिजाज बदल गया है। फिर वही सब जिसे याद करने से डर लगता है का माहौल बनेगा। उत्पादित वैक्सिन निष्प्रभावी गोदाम में रखने के बाद दान में दिया जा सकता है। फिर जिंदगी बाजार के हवाले होगी और खजाना भले खाली हो जाएगा लेकिन जिंदगी के तमाशे का क्या परिदृश्य होगा, यह समय ही बताएगा।

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