सम्पर्क साहित्यिक संस्थान के छह वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हर्षोल्लास से मनाया गया संस्थान का वार्षिकोत्सव
जयपुर : सम्पर्क साहित्यिक संस्थान के गौरवमय छह वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में रविवार को हर्षोल्लास के साथ संस्थान का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर साहित्य श्री, सम्पर्क श्री सम्मान के साथ ही छह पुस्तकों का विमोचन, काव्य सरिता का आयोजन भी जयपुर स्थित होटल ग्रैंड सफारी में रखा गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती हिमांकनी गौड़ (ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश), विशिष्ट शासन सचिव विधि राजस्थान सरकार, मुख्य वक्ता डॉ राजेश कुमार व्यास, विशिष्ट अतिथि कनिष्क शर्मा डायरेक्टर ज्ञान विहार स्कूल, जयपुर, डॉ. अखिल शुक्ला अध्यक्ष हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान। अपने स्वागत उद्धबोधन में अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने संपर्क के कार्यो की जानकारी दी। समन्वयक महासचिव रेनू शब्दमुखर ने सम्पर्क की छह वर्ष की साहित्य यात्रा को बताया।जोधपुर निवासी अर्चना त्यागी द्वारा लिखित सपने में आना माँ का विमोचन भी किया गया।
“अर्चना त्यागी का पहला एकल लघुकथा संग्रह” सपने में आना माॅं” में 38 लघुकथाएं हैं। जिसमें व्यक्ति, व्यक्तित्व, परिवार, समाज, मन और आत्मा में आने वाले सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को उकेरा गया है। अर्चना जी स्वयं शिक्षिका हैं और संवेदनशील साहित्यकारा भी हैं। उनकी पैनी दृष्टि और जीवन अनुभवों से होकर जब कोई विचार,घटना या भाव मन में जगह बनाता है तो एक अलग तरह की लघुकथाएं जन्म लेती हैं।
इन लघुकथाओं को हम एक निश्चित श्रेणियों में भी रख सकते हैं।हमारा जीवन प्रेम, घृणा, सौहार्द, जीत- हार, आशा -निराशा के साथ मानवीय और अन्य रिश्तों के बीच सांस लेता है।रिश्ते जो किसी परिभाषा में नहीं बंधते हैं। कुछ रिश्ते ईश प्रदत होते हैं और कुछ स्वनिर्मित,कुछ परिस्थिति जनित और कुछ जरूरत अनुरूप। सबसे बड़ा रिश्ता होता है “माॅं और बेटी का”। जिसमें आत्माओं की तारें जुडी रहती हैं। हर भावना बिना कहे समझी जाती है। अर्चना जी की अनेक ऐसी लघुकथाएं हैं जो माॅं -बेटी/बेटा, पिता पुत्र, भाई बहन, गुरु -शिष्य, सास-बहू जैसे रिश्तों को दर्शाती हैं। अर्चना त्यागी की लघुकथाओं की एक विशेषता यह भी है कि वे अपनी पैनी नजर, सक्षम समझ और अनुभूतियों के विशाल कारवां में से अपने विषय चुनती हैं।