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Poem : ” दौर है गुजर जाएगा “

✍️ आशीष गुप्ता  (प्रयागराज)

वक्त के साथ सब सुधर जाएगा
भरोसा रखना तो पड़ेगा ही,
मौत से लड़ना तो पड़ेगा ही,
दौर है गुजर जाएगा।

जो बीत गया वह लौट कर ना आएगा,
खड़े थे तुम भी कतार में,
खड़े थे हम भी कतार में,
क्या पता था कौन छूट जाएगा,
दौर है गुजर जाएगा।

कोई तो होगा जो तन्हाई में साथ निभाएगा,
हालात चाहे जैसे भी होंगे इस दौर में,
कोई तो मसीहा बनकर नैया पार लगाएगा,
दौर है गुजर जाएगा।

आज तेरे पंख बेजान है कल किसने देखा है
शायद हौसला बुलंद हो,
फिर से तेरा तोड़ेगा जरूर,
ए बंदे तू आसमानों की रेखा,
दौर है गुजर जाएगा।

घबराना-डगमगाना मत चलता जा,
कांटो को ढाल-अंगारों को राह बना,
पथरीली राहों को मंजिल का द्वार बना,
दौर है गुजर जायेगा।

अंधियारे को चीरता जा,
उजियारी में उड़ता जा,
पथ का पथिक है तू
मुसीबतों से लड़ता जा
दौर है गुजर जाएगा।

जीतने की चाह जिसमें वह मौत को हरा देता है,
हार कर भी जीत को अपना बना लेता है,
हम उस देश के वीर वासी हैं डटकर दुश्मन को मारेंगे
अपनी इस दुनिया को फिर से एक बार जरूर सवारेंगे
दौर है गुजर जाएगा

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