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कविता : माँ… आप हीरा हो !

  • पौनिंद्रा नाडार, मुम्बई

जन्म से लेकर अब तक तुम ही हो वो माँ।
जो मुझे एक बच्चे की तरह लाड़ प्यार करते हो माँ।।
आपने ही सभी अच्छे नैतिक मूल्यों को सिखाया है।
जिसने मेरी आत्मा को अधिक परिपूर्ण बनाया है।।

आपने मुझे जीवन के मार्ग में मार्गदर्शित किया है।
आपने मुझे सभी परीस्थिति में मजबूत होना सिखाया है।।
आप मेरे सभी अंधेरे दिनों में मेरे साथ रहे हैं।
और मेरी जीवन की दीपक बन ज्योती बने हैं।।

फिर भी हमेशा मुझे सुधारने के लिये समझाती रहती हैं।
फिर भी मुझे माफ़ करने के लिए हमेशा तैयार रहती है।।
मुझे खुशी देकर खुद खुश हो जाती है।
मेरी मुस्कान मे सारे ग़मों को वह भुला देती है।।

आपके बिना मेरे जीवन का कोई अस्तित्व नहीं।
आपके बिना जीवन की कल्पना नहीं।।
क्योंकि माँ मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।
माँ आप मेरे लिए सबकुछ हो।
माँ.. आप हीरा हो, हीरा..।।

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