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Mirzapur : बिना स्थलीय जाँच पड़ताल किये शून्य घोषित कर गोंड अनुसूचित जनजाति के शासनादेश की उड़ा रहे है धज्जीया : एडवोकेट ज्ञानेन्द्र ध्रुव

रिपोर्ट : बृजेश गोंड

मीरजापुर, (उ.प्र.) : सन् 2021 के पंचायती चुनाव में गोंड अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों की संख्या को क्षेत्रीय लेखपाल व ग्राम विकास अधिकारी (सेक्रेटरी) विकास खण्ड मझवां व सीटी द्वारा बिना स्थलीय जाँच पड़ताल किये शून्य घोषित कर गोंड अनुसूचित जनजाति के शासनादेश का धज्जी उड़ाते हुये संवैधानिक अधिकारों का हनन कर एवं हक मारने की साजिश कर रहे है। क्षेत्रीय लेखपाल व सेक्रेटरी पर तत्काल विधिक कार्यवाही कर मनमानी पर रोक लगाया जाये। यह मांग जिला अधिकारी को एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से एडवोकेट ज्ञानेन्द्र ध्रुव पुत्र स्व० सूर्यवंशी गोंड निवासी ग्राम भरपुरा चौराहा थाना पड़री निवासी ने यह आरोप लगाते हुये की है।

जिला अधिकारी से पत्र के माध्यम से गुहार लगाते हुये उन्होंने कहा है कि हम प्रार्थी उपरोक्त पते का मूल निवासी हू। पेशे से अधिवक्ता एवं सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन मीरजापुर, उ०प्र० का जिला उपाध्यक्ष हू। हम प्रार्थी श्रीमान् जी को अवगत कराना चाहता हू कि सचिव उ0प्र0 शासन लखनऊ के पत्रांक संख्या 111 भा0स0/26-03-2003-3171/2003, 3 जुलाई 2003, समाज कल्याण अनुभाग-3 लखनऊ द्वारा गोंड जाति के व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति के श्रेणी में सूचीबद्ध कर शासनादेश जारी कर समस्त जिलाधिकारियों को आदेशित किया गया था। जिसमें भारत सरकार ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम 2002 के अनुपालन में गोंड जाति को अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध कर सम्मिलित करने का आदेश के तहत शासन ने गोंड जाति को अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिये। तब से गोंड जाति के व्यक्तियों को जिला मीरजापुर में अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। लेकिन 2021 के पंचायती चुनाव में निदेशक पंचायती राज उ0प्र0 का आदेश पत्रांक सं0 4/945(1)/2020-4/326/2019-20 लखनऊ दिनांक 19-12-2020 को समस्त जिलाधिकारी को आदेशित किया गया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जिन ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या दर्शायी गयी है, उसमे अनुसूचित जनजाति की वास्तविक अवधारणा कर अवगत कराये। जिससे पंचायत के चुनाव में गोंड अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को शासन द्वारा संवैधानिक लाभ पहुॅचाया जा सके। लेकिन क्षेत्रीय लेखपाल एवं ग्राम विकास अधिकारी (सेक्रेटरी) द्वारा घर बैठे समस्त जिले में गोंड जाति को स्थलीय जनगणना न कर घर बैठे दुर्भावना से ग्रसित होकर शून्य घोषित कर दे रहे है, जबकि मझवां ब्लाक में मात्र चड़िया और बरैनी गाँव में गोंड जाति को दिखाया गया है। जबकि चडिया और बरैनी गाँव के अलावा अन्य गाँवों मे गोंड जाति की संख्या ज्यादा है वहाँ पर गोंड जाति को शून्य घोषित कर गोंड जाति का संवैधानिक हक मारना चाहते है। वही सीटी ब्लाक के बरियारपट्टी (भोड़सर) ग्राम में लेखपाल एवं सेक्रेटरी द्वारा गोंड जाति को पिछडी जाति का बताकर अनुसूचित जनजाति का हक मार रहे है।

एडवोकेट ज्ञानेन्द्र ध्रुव ने डीएम से अपेक्षा की है कि न्याय हित में अगर कोई लेखपाल या ग्राम विकास अधिकारी दुर्भावना से ग्रसित होकर गोंड जाति (अनुसूचित जनजाति) के व्यक्तियों को शून्य घोषित करता है या कर दिया है तो ऐसे लेखपाल व ग्राम विकास अधिकारी पर तत्काल विधिक कार्यवाही किया जाना एवं अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को संवैधानिक अधिकार व हक दिया जाना आवश्यक एवं न्याय संगत है। वही आगे कहा की इस तरह के हक अधिकार गरीबो का छीनता रहा तो असहाय गरीब तहसीलों का चक्कर काटते काटते खुद मर जाएगा इसपर जिला प्रशासन के साथ साथ सरकार को भी अपना ध्यान इस तरफ देना चाहिए।

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