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Poem : कुछ इस तरह

✍️  मनीषा कुमारी, विरार, महाराष्ट्र

आपकी याद भी आयेगी मेरे आंसू भी बहेंगे,
रातों को उठ उठ कर रोयेंगे पर आपको ना भूल पायेंगे।

अपना दर्द ना हम जमाने से कहेंगे,
और ना कभी किसी से कहेंगे।

बिना गुनाहों की सजा भी काटेंगे जो कभी किया ही नही,
भुलाना तो आसान ना होगा, पर फिर भी भूला देंगें उस जख्म को।

आपके बिना ना कोई सहारा होगा,
न कोई कभी अपना आपके जैसा होगा।

न कोई दिल को अजीज को होगा,
खुद के अस्तित्व को भी भुला दी हमने आपके लिए।

क्या क्या नहीं किए मैंने तुझे अपना बनाने के लिए,
एक ऐसा तूफान भी मेरी जिंदगी मे आएगी।

सोची नही थी कभी भी हर एक ख़्वाब पल में टूट जाएगी,
हम आपसे इस तरह बिछड़ जाएंगे, इस तरह आपसे हम दूर हो जाएंगे।

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