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क्या इस हफ्ते इंद्रेश बचा पाएगा स्वाति और अपने होने वाले बच्चे को?

मुंबई : वट पूर्णिमा पर सभी हिंदू शादीशुदा महिलाएं एक साथ मिलकर अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए उपवास रखती हैं। एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में स्वाति (तन्वी डोगरा) भी अपने पति, इंद्रेश (आशीष कादियान) के लिए प्रार्थना करने का मन बना चुकी है। इंद्रेश, पूजा में पत्नी के साथ शामिल होने का फैसला करता है। उनके प्यार की कोई सीमा नहीं है और वे एक-दूसरे के लिए कुर्बानी देने से कभी पीछे नहीं हटते। कहानी में जो कहा गया है, वो बहुत कुछ सावित्री की कहानी से मिलता-जुलता है। जो अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से अपने पति को स्वयं यमराज के चंगुल से बचाकर लायी थी। दर्शकों को अभी एक बेहद ही रोमांचक एपिसोड देखने को मिलने वाला है, क्योंकि देवेश (धीरज राय) ने स्वाति का अपहरण कर उसे एक संदूक में बंद कर दिया है। सिंहासन सिंह (सुशील सिंह), देवेश को गोली मार देता है, क्योंकि वह भागने की कोशिश करता है। स्वाति और उसके होने वाले बच्चे दोनों की जान को खतरा है। इंद्रेश ने स्वाति के साथ सुनहरा भविष्य जीने के लिये सारी बाधाओं को पार किया है। क्या इंद्रेश को सावित्री की कहानी से प्रेरणा मिलेगी और वह समय रहते अपने परिवार को मौत के मुंह से बचा लेगा या किस्मत के सामने घुटने टेक देगा?

सावित्री का इतिहास और उसके महत्व से जुड़ी लोककथा काफी प्रसिद्ध है। एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में संतोषी मां बनी ग्रेसी सिंह कहती हैं, “इस दिन को अपने पति के प्रति सावित्री के समर्पण के सम्मान में मनाया जाता है। वह सत्यवान से प्यार करती थी और यह जानते हुए भी कि उनका जीवन छोटा है, उनसे शादी करती है। अपने भाग्य को हराने के लिए, वह हर दिन उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करने लगती है। एक दिन जब सत्यवान बरगद के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे, अचानक उनकी मृत्यु हो जाती है। जब यमराज उनकी आत्मा को लेने आते हैं तो सावित्री उनके सामने खड़ी हो जाती है। यमराज, सावित्री को अपने पति के प्राण के बदले एक के बाद एक तीन वरदान देते हैं। सावित्री अपने तीसरे वरदान के रूप मे यमराज से पुत्रवती होने का वर मांगती है और यमराज तथास्तु कह देते हैं। सावित्री की सूझबूझ भरे जवाब और अपने पति के प्रति उसके प्रेम को देखकर मृत्यु के देवता स्तब्ध रह जाते हैं और स्वयं ही सत्यवान को जीवनदान दे देते हैं। यह कथा दृढ़ता और साहस का एक मजबूत उदाहरण है। सावित्री की कहानी महिलाओं को निडर बने रहने और खुद पर विश्वास रखने के लिए प्रेरित करती है। ”एण्डटीवी के ‘संतोषी मां सुनाये व्रत कथायें‘ में स्वाति की भूमिका निभा रहीं तन्वी डोगरा व्रत की रस्मों के बारे में कहती हैं “इस मौके पर महिलाएं वट सावित्री कथा सुनती और सुनाती हैं। वह व्रत रखती हैं और दुल्हन की तरह तैयार होकर बरगद के पेड़ के चारों ओर लाल या पीले रंग का धागा बांधकर पूजा करती हैं। यह व्रत चार दिनों तक चलता है, जिसमें पहले तीन दिनों तक फल खाये जा सकते हैं और चौथे दिन चंद्रमा को जल चढ़ाने के बाद महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं।‘‘

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