✍️ कुसुम पंत उत्साही
करके सोलह श्रृंगार पिया जी,
पायल की झंकार पिया जी,
बिंदिया मेरी तेरे दम से ही,
सब कुछ दिया वार पिया जी।।
चाँद क्यों मै पूजू पिया जी,
मेरे तुम ही चाँद पिया जी,
लाल रंग की ओढ़ चुनरिया,
बनु फिर से दुल्हन पिया जी।।
मेहँदी की रंगत पिया जी,
बिंदी का श्रृंगार पिया जी,
मेरे मन में बसे तुम रहना,
बन सांसो का हार पिया जी।।
व्रत ये आता हर साल पिया जी,
चम चम चमके भाल पिया जी,
नैनो की मै ज्योत बनकर मै,
हरदम ह्रदय चमकाऊ पिया जी।।