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Muzaffarnagar : साहित्य के इतिहास में रोज नए नए आयाम घढ़ रहे हैं गली गली कपड़ों की फेरी करने वाले महेश राठौर ( सोनू)

मुजफ्फरनगर, (उ.प्र.) : महेश राठौर सोनू यह वह नाम है जिसने कि अपने संकल्प के बल पर आज ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसे की हर साहित्यकार पाना चाहता है मध्य प्रदेश के रीवा शहर के पांडे टोला मोहल्ले में रहकर गली-गली कपड़ों की फेरी करने वाला महेश राठौर सोनू आज वह नाम बन चुका है जो कि किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है देश के बड़े से बड़े साहित्यकार भी आज महेश राठौर सोनू को भली-भांति जानते हैं देश के शीर्ष अखबारों में दैनिक भास्कर दैनिक जागरण लिखते हैं महेश राठौर सोनू के बारे में शब्दों के जादूगर ने देश विदेश तक नाम कमाया हजारों रचनाओं को देश विदेश से प्रकाशित करा कर महेश राठौर सोनू नित नए आयाम घढ़ रहे हैं

देशभर के उच्च रचनाकारों में महेश राठौर सोनू भी एक सम्मानित नाम बन चुका है देश के कई शीर्ष रचनाकार उन्हें कलम का जादूगर कहते हैं और हो भी क्यों ना एक नामुमकिन सा सफर तय करने वाले इस जादूगर को आज शब्दों का शिल्पकार शब्दों का जादूगर और आज का मुंशी प्रेमचंद जैसे नाम देते हैं दिल को छू लेने वाली हजारों से भी ज्यादा रचनाओ के लेखक महेश राठौर सोनू की कलम का जादू आज चारों तरफ सुनाई देता है उनके लिखे हुए हर शब्द को उनके चाहने वाले दिल से चाहते हैं अपनी कलम के बल पर महेश राठौर सोनू देश की भारत सरकार द्वारा पंजीकृत सर्वोच्च हिन्दी संस्था साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा देश के श्रेष्ठ रचनाकार ,राष्ट्रीय भाषा गौरव, नवरत्न ,समीक्षाधीस, साहित्य केतू, दिल्ली दिगपाल, समेत देश की सभी पंजीकृत संस्थाओं द्वारा सैकड़ों से भी ज्यादा पुरस्कार पाने वाले महेश राठौर सोनू को उच्च अधिकारियों केंद्रीय मंत्रियों द्वारा भी सम्मानित किए जा चुके हैं एक आठवीं पास रीवा शहर में गली गली घूम कर कपड़ों की फेरी करने वाले महेश राठौर सोनू ना सिर्फ अपने जिला मुजफ्फरनगर का नाम साहित्य के इतिहास में स्वर्ण शब्दों से लिखा है बल्कि अपने गाँव राजपुर छाजपुर गढी का नाम भी विश्व पटल तक स्वर्ण शब्दों से लिखा है महेश राठौर सोनू बंजारा समाज से है पिता श्री महेंद्र सिंह बंजारा माता श्रीमती शिमला आठ बहन भाई में तीसरे नंबर के महेश राठोर सोनू घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण कक्षा आठ से आगे नहीं पढ़ पाए यह जिंदगी भर मलाल रहेगा लेकिन जो मुकाम उन्होंने हासिल किया है उसे पाने में जन्म बीत जाते हैं हजारों रचनाएं देश विदेश से प्रकाशित होना अपने आप में अद्भुत है हिंदी के इस जादूगर को राष्ट्रीय भाषा गौरव सम्मान भी अपने आप में अद्भुत है महेश राठौर सोनू बताते हैं कि अभी भी उन्हें सरकार से उम्मीद है कि सरकार उनकी किताब निकलवाने में मदद करें जिससे कि जो सम्मान वास्तविक सम्मान मिलना चाहिए था वह मिल सके

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