– गुरमीत सिंह मीत मरजाना
कहते हैं डुबते को तिनके का सहारा होता है और ये कहावत एंबुलेंस वालो पर पुरी तरह फिट बैठती है एक मरीज को कैसी भी विकट स्थिति में कितनी भी दूर ले जाना हो तो एकमात्र विकल्प एंबुलेंस ही होता है और साथ में ये विश्वास भी होता है कि समय पर तो पहुंचेंगे ही, मरीज भी बच जायेगा ! कुल मिलाकर कर एंबुलेंस एक ऐसा बेहतर मानसिक वाला उपचार है जिससे मरीज और घर वालों की आशायें बढ़ जाती है ! कोरोनावायरस जैसी महामारी वाली घातक बिमारी के चलते भी एंबुलेंस ने हर जगह अपनी सही पहचान के साथ सेवा भावना का परिचय दिया है परंतु ये सेवा भावना अधिकतर लालच में तब्दील हुई जा रही लगती है जो अपराधिकता को जन्म दे रही है
अभी हाल में ही ऐसे कई मामले आते हैं जिनमें नोयेडा से दिल्ली तक के हास्पिटैल तक जहां पहले मात्र 700-800 या किलोमीटर के हिसाब से पैमेंट देते थे अब वही एंबुलेंस वाले 14000-18000 वसूल रहे हैं और वो भी धड़ल्ले से ! और ये सब न्यूज चैनल में भी दिखाया जा रहा है जो कि इंसानियत की दृष्टि में बहुत बड़ा पाप है ! ज़रा सोचो यदि एबुलेंस वाले ही ऐसा करेंगें तो आम जनता का तो विश्वास ही मर जायेगा ! एक तो कोरोना की वजह से काम-धंधे ठप्प हो रहें हैं दुसरा अपनों को किसी तरह इस महामारी से बचाने की जद्दोजहद में ज़रूरत से ज़्यादा पैसा खर्च हो रहा है उपर से रब रूपी एंबुलेंस भी अगर जेब काटने पर उतारू होगी तो बेचारा गरीब आदमी क्या करेगा !
एंबुलेंस के लिये हर कोई रास्ता छोड़ देता है कि किसी मरीज की जान बच जायेगी पर यदि एंबुलेंस वाले ऐसे ही लुटते रहेंगे तो क्या जरूरत है रास्ता छोड़ने की मरीज बिमारी से नहीं मरेगा। तो हास्पिटैल के बिल से या एंबुलेंस का किराया सुन कर ही मर जायेगा !
हाथ जोड़ कर निवेदन है एंबुलेंस वालो से कि समाज देश में अपनी अहमियत को समझें सेवा भाव के कार्य को व्यवसाय न बनायें आप भी जानते हो साथ कुछ नहीं जाना तो फिर लालच क्यों ! जनता का आपके प्रति श्रद्धा भरा अटूट विश्वास है आप उस विश्वास को बनायें रखें ! आप है तो मरीज की जान में जान है ! ये बुरा कोरोनावायरस का दौर एक दिन शीध्र ही समाप्त होगा सरकार और अन्य कई समाज सेवी हमारे मेडिकल स्टाफ वो पुलिस प्रशासन दिन-रात इस विपदा को जड़ से मिटाने में मिलकर कार्यरत हैं ! आपका अहम रोल है कृप्या अपने एंबुलेंस वाले किरदार को बदनाम न करें नहीं तो पुलिस को एक्शन में आना होगा ! जिससे बदनामी तो होगी ही साथ ही साथ जनता का विश्वास टूट जायेगा !
एंबुलेंस वालो अभी भी समय है जागो देश से आपको बहुत आशाएं हैं जिन्हें आप ही पुरी कर सकते हैं हालांकि पुलिस की एंबुलेंस भी है पर वो पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं !
अंत में यही कहना चाहूंगा कि अहमियत को समझो और कर्म को जानो शेष प्रभु इच्छा !
सेवा भाव सदा रखना मन में लालच में कभी न आना
यहीं रह जायेगा सब कुछ प्यारे साथ न कुछ भी जाना
इंसान है तो इंसानियत वाला रिश्ता सभी संग निभाना
सेवा धर्म ही मुक्ति की राह है यह कहता मीत मरजाना
(लेखक दिल्ली पुलिस में ASI ke पोस्ट पर कार्यरत हैं)