भयहरणनाथ धाम में परम्परागत फूलों की होली उत्सव सम्पन्न
♦ गृहस्थ संत हरि प्रसाद शुक्ल की स्मृति में हुआ कवि सम्मेलन
♦ बनेगी बेटी उन्ही की सीता, जो खुद राजा जनक रहे हैं
♦ मन मन्दिर में पिया, तेरा रंग चढ जाए,कई होली बीत गई तुम घर नही आए
प्रतापगढ़, (उत्तर प्रदेश) : प्रसिद्ध पांडव कालीन भयहरणनाथ धाम में गत कई वर्षों से निरन्तर होने वाली फूलों की होली को भव्य उत्सव के रूप में मनाया गया और यह सन्देश दिया गया कि रंग पुष्पों से ही जन्म लेते हैं, अतः व्यापक जल संरक्षण हेतु फूलों की होली समाज के लिए श्रेयस्कर है। वहीं धाम के संस्थापक कोषाध्यक्ष व पंच परमेश्वर ग्रामीण पुस्तकालय के संस्थापक प्रबन्धक गृहस्थ संत स्मृति शेष हरि प्रसाद शुक्ल की याद में विराट कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरूवात भगवान भयहरणनाथ महादेव के पूजन व फूलों की सामूहिक होली से प्रारम्भ हुई। सभी का स्वागत करते हुए धाम के महासचिव व बकुलाही नदी पुनरोद्धार अभियान के संयोजक समाज शेखर ने कहा कि हरि प्रसाद शुक्ल जी सदैव भयहरणनाथ धाम के नींव के पत्थर के रूप में सुशोभित रहेगें। क्षेत्र व समाज उनके सद्कर्मों के प्रति नतमस्तक है और रहेगा, सदा प्रेरणा लेकर धाम व समाज का विकास करेगा। धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष आचार्य राज कुमार शुक्ल ने किया।
होली उत्सव में आयोजित विराट कवि सम्मेलन की अध्यक्षता बलिया से पधारे साहित्य भूषण व हरिबंश राय बच्चन सम्मान से अलंकृत जनकवि जय प्रकाश शर्मा ने किया। वहीं संचालन यमुनापार प्रयागराज से पधारे प्रख्यात लोककवि अशोक बेशरम ने किया। बेशरम जी की पंक्ति कैंचियों से भरी जिसके जिगर की झोली है, वो क्या जाने ईद क्या और क्या होली है लोगों को सोचने पर बिवश कर दिया। गीतकार जीतेन्द्र मिश्र जलज की रचना चन्दन है पानी है और क्या, दुनिया कहानी है और क्या खूब सराही गई। वहीं खेलगांव इन्टरनेशनल स्कूल की प्राध्यापिका व प्रसिद्ध कवयित्री रेनू मिश्रा ने पढा कि मन मन्दिर में पिया, तेरा रंग चढ जाए, कई होली बीत गई तुम घर नही आए ने खूब वाह वाही लूटी।
मुख्य अतिथि शहर समता समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक व सुकवि उमेश श्रीवास्तव ने होली पर केन्द्रित कई रचनाए प्रस्तुत की। राष्ट्रवादी कवि संतोष शुक्ल समर्थ ने पढा कि उसी दिन से प्रगति की राह पर बढता है हर बच्चा, बडों के पांव को जिस दिन दबाना सीख जाता है ने खूब वाह वाही लूटी । हाईकोर्ट की अधिवक्ता व प्रसिद्ध कवियत्री मंजू पाण्डेय महक जौनपुरी ने पढा कि न बन सकेगी कभी भी सीता, न बन सकेगी कभी सावित्री, बनेगी बेटी उन्ही की सीता, जो खुद राजा जनक रहे हैं की खूब सराहना हुई। प्रबन्ध समिति की सदस्य एवं कवियत्री आभा मिश्रा की पंक्तियां रंगे सब प्रीत के रंग में, करें गुलजार होली में, गिले शिकवे भुला कर सब, बनें परिवार होली में को लोगों ने खूब सराहा। राष्ट्रीय कवयित्री बंदना शुक्ला व क्षेत्रीय युवा कवि सौरभ सोमबंशी की रचनाएं खूब पसन्द की गई।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से संरक्षक राज नारायण मिश्र, पं0 राजेन्द्र शुक्ल, हीरा लाल, युवा नेता गुरू ओम मिश्रा व राकेश सिंह तथा उपाध्यक्ष कार्यक्रम उमाकान्त पाण्डेय, सचिव राज किशोर मिश्र , स्वच्छता प्रभारी नीरज मिश्र , कार्यालाय प्रभारी अंकित पांडेय , अकबर अली आदि शामिल रहे .