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Poem : हे ईश्वर तुझे बारंबार प्रणाम…

✍️ मनीषा झा, विरार महाराष्ट्र

कैसे रहूं भगवन तेरे बिना,
कैसे सोचूं भगवन तेरे बिना,
चलूं भी तो कैसे चलूं तेरे साथ बिना,
अब तूही बता ईश्वर कैसे जिऊ अब तेरे बिना,

हे ईश्वर तुझे करती हूं बारंबार प्रणाम…

बहुत कुछ दिया तूने मुझे भगवन
जितना मैं सोची थी उसे लाख गुणा,
गिरते हुए को उठाया तूने भगवन,
भटके राही को राह दिखाया तूने भगवन

हे ईश्वर तुझे करती हूं बारंबार प्रणाम…

तूने जो रहमतों का बारिश किया मुझ पे,
एक अबला को सबला बनाया तूने भगवन
धूप में छाया बनके साथ दिया तूने मुझे,
जब जब पुकारी मैं मेरे पास आया तू भगवन .

हे ईश्वर तुझे करती हूं बारंबार प्रणाम…

हर एक मेरे सपनों को पूरा किया ,
उम्मीद से ज्यादा तूने खुशियां दिया ,
कभी आखों से मेरे आंसू गिरने न दिया ,
हर पल खुशियां की तूने सौगात दिया,

हे ईश्वर तुझे करती हूं बारंबार प्रणाम…

जिंदगी में दुर्गम मार्ग को सुगम बनाया आपने,
गलत राह से ,सही राह दिखाया आपने,
निराशा को आशा में बदल दिया आपने,
तिमिर में एक ज्योत का दीप प्रज्ज्वलित किया आपने

हे ईश्वर तुझे करती हूं बारंबार प्रणाम…

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