
✍️ मनीषा कुमारी, मुंबई
प्यार तो तुझसे आज भी हैं
लेकिन तुझे मेरे प्यार की कदर नहीं
इसलिए मैंने भी अहसास दिलाना छोड़ दिया,
तेरे कदमो में जीवन जीने की चाहत थी,
मेरे दिल मे तुझे पाने की चाहत थी,
तेरी बेरूखी से तंग आकर आज
तुझसे मिलने की तम्मन्ना भी छोड़ दिया,
सोचा था तुझे दिल मे बिठा के पूजा करुँगी।
तुझे पलकों पे सजा के रखूँगी,
लेकिन तुझे कदर ही नहीं मेरे जज्बात का,
इसीलिए मैंने भी तुझे अपना बनाने की जिद छोड़ दिया।
जिस दिन तुझे अहसास होगा मेरी कमी
तेरे भी आँखों मे आ जाएगी नमी
प्यार तो तुझसे आज भी हैं,
इन आँखों मे तेरा इंतजार आज भी है
लेकिन तुने भी अब मुझे खो दिया.
मैंने भी तुझसे अब रुख मोड़ लिया।