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चिंतन : आप अपनी संतान को किस उम्र तक बच्चा मानते रहेंगें?

✍️ वीरेंद्र बहादुर सिंह 

अब वह बच्चा नहीं रहा। अब उसे बच्चा समझने की भूल न करें। बच्चा है, यह मान कर उसकी गलतियों को नजरअंदाज भी न करें। उसकी उम्र 18 साल हो गई है और 18 साल की उम्र में मताधिकार का अधिकार मिल जाता है। देश की सरकार तय करने में बराबर की भागीदारी मिल जाती है। 18 साल का होने पर विवाह करने की छूट मिल जाती है। सड़कों पर कानूनन फोर ह्वीलर चला सकता है।

18 साल का होने पर जीवन के प्रति जिम्मेदारियां शुरू हो जाती हैं। निर्णय लेने की आजादी मिल जाती है। टीनेजर के जोन से बाहर निकल कर परिपक्वता के दरवाजे में कानूनन प्रवेश मिल जाता है। 18वें साल में बचपन खत्म हो जाता है। खुदीराम बोस 18 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ गए थे। बिरादरी से बाहर होने के डर की अवहेलना करते हुए गांधीजी लंदन पढ़ने चले गए थे। तो 18 साल की या उससे अधिक उम्र की हमारी संतान अपनी नाक में क्या फूंक रही है, उसे इसका तो भान होना ही चाहिए। अगर उसे इस बात का भान नहीं है तो एक जिम्मेदार मां-बाप के रूप में इस बात का भान हमें तो होना ही चाहिए।

आर्यन खान ड्रग लेते हुए पकड़ा गया।उसके ड्रग लेने के पीछे सेलिब्रिटी मां-बाप जिम्मेदार हैं? उनका तगड़ा बैंक बैलेंस जिम्मेदार है या उनकी परवरिश… ? इन चर्चांओं के बीच एक बात साफ है कि इस सब के पीछे 23 साल का आर्यन खान खुद सब से ज्यादा जिम्मेदार है।

23 साल की उम्र में उसे यह तो पता होना ही चाहिए कि नाक के अंदर वह जो फूंक रहा है, उसे क्या कहते हैं? उसे इस बात का होना चाहिए कि जिसका वह मजा ले रहा है, वह गैरकानूनी है और यह गैरकानूनी कृत्य करने के बाद जल्दी जमानत नहीं मिलेगी, इस बात के लिए उसे तैयार रहना चाहिए। उसे ही क्यों, उसके मां-बाप को भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए। 23 साल की उम्र में मूंछें निकल आती हैं, आदमी नियमित दाढ़ी बनाने लगता है, लड़कियों के साथ डेट करने लगता है, स्मूच करने लगता है, ड्रिंक्स लेने लगता है, बिना मम्मी-पापा के पार्टी में जाने लगता है। जब वह यह सब खुद अकेला कर सकता है तो इसका मतलब वह एक जिम्मेदार व्यक्ति हो गया है। अब वह बच्चा नहीं है और नाक में में फूंकी गई मजे की चीज की जिम्मेदारी भी उसकी अपनी है।

भारतीय मां-बाप को अब ‘ममता’ की व्याख्या बदल देना चाहिए। हमारे यहां अभी भी 23-24 या 27 साल के बेटे को मम्मी ‘बच्चा’ कह कर ही बुलाती है। इस बच्चे को बच्चा हो जाए, उसके बाद भी वह बच्चा ही रहता है। मुंह में अंगूठा लिए बगैर, बढ़ गई कमर पर हाफ पैंट टिकाने का प्रयास करते हुए बच्चा बूढ़ा हो जाए, तब तक पेम्पर होता रहता है और बालक होने का विक्टिम कार्ड खेलता रहता है।

पश्चिमी देशों में 18 साल की संतान को मम्मी-पापा के साथ एक घर में रहने में शर्म आती है। 18 साल की उम्र के बाद वहां की ज्यादातर संतानें मां-बाप की आर्थिक या सामाजिक जिम्मेदारी में नहीं रहते। खुद से अलग रहने वाली संतानों के प्रति मां-बाप इमोशनल जिम्मेदारी जरूर निभाते रहते हैं। हमारे यहां इसका एकदम उल्टा है। 32-35 साल का भी हमारा बच्चा ‘बालक’ ही रहता है।

हर मां-बाप को एक बात साफसाफ समझने की जरूरत है कि 18 साल की, 23 साल की या 25 साल की आप की संतान अब बच्चा नहीं रही। उसे बच्चा समझना या बच्चा कहना बंद कर दीजिए। अब वह एक जिम्मेदार नागरिक है। आपकी संतान आप की उपस्थिति में व्हिस्की के 4 पैग ले सकती है, पर उसे यह पता होना चाहिए कि यह एक अपराध है और पिए हुए स्थिति में पुलिस पकड़ेगी तो सख्त सजा हो सकती है(जहां-जहां शराब बंदी लागू है और जहां नहीं लागू वहां खुले में पीने पर जुर्माना हो सकता है)। आप के कंधे पर हाथ रख कर वह भले ही सिगरेट के कश ले ले, पर यह तो उसे पता ही होना ही चाहिए कि सिगरेट कहां नहीं पी जा सकती। बिना लाइसेंस के कार चलाने वाली अपनी संतानों को अगर पुलिस के हाथ में 5 सौ का नोट थमाना सिखा सकते हैं तो एक्सीडेंट करने के बाद थाने के वातावरण में किस तरह सेट होना है, यह भी सिखाएं।

मुरादाबाद की रैली में बलात्कार के मामले में मुलायम सिंह ने कहा था कि ‘ये बच्चे हैं और बच्चों से भूल हो सकती है।’ हर मां-बाप से मेरा एक सवाल यह है कि मां-बाप के रूप में आप अपनी संतान को किस उम्र में जिम्मेदार मानेंगें? उसे मताधिकार मिलेगा तब? वह होटल में अकेले ठहरने लगेगा तब? उसकी शादी हो जाएगी तब? अपना बिजनेस उसके हाथों में सौंप दोगे तब? आप की संतान किसी एकांत की पार्टी में जा कर नाक में कुछ फूंक न आए, इसके लिए आप सदैव चिंतित रहते हैं, यह मानते हैं। पर कभी उसे पास बैठा कर जीवन में न की जाने वाली गलतियों के बारे में बताते हैं? कभी आपने उससे दृढ़ आवाज में कहा है कि तुम्हारे द्वारा कि गई इन गलतियों को मैं कभी माफ नहीं करूंगा। उसे जिम्मेदार बनाने के लिए ओवरलोडेड रहने वाली अपनी ममता पर आप कंट्रोल रखने के लिए तैयार हैं?

संतान की माफ न करने वाली गलतियों पर जो मां-बाप यह कहते हैं कि ‘यह तो बच्चा है… ‘ तो बच्चे के साथ-साथ उन मां-बाप को भी उसी तरह सजा देनी चाहिए। अपने यहां एक कहावत है- सोले सान और बीसे वान। अपनी संतान सोले समझ न आए कोई बात नहीं, पर 23 साल की उम्र में अगर समझ न आ रही हो तो समझ लीजिए कि उम्र के हिसाब से उसका मानसिक विकास नहीं हुआ है। आप की संतान आप का बच्चा होने के साथ-साथ एक जिम्मेदार नागरिक भी है। शराब पी कर सड़क पर कार चलाते समय अपनी जिंदगी जितनी कीमती है, उतनी ही कीमती दूसरे की भी जिंदगी है, इसका भान उसे कराइए। अगर वह नाक में कुछ फूंक कर आता है तो मां-बाप के रूप में दिन-रात जेल के बाहर खड़े रहने के लिए तैयार रहिए। यह भी मानने के लिए तैयार रहिए कि उसे जमानत भी नहीं मिल सकती।

हम हमारी नई पीढ़ी को कब तक बच्चा समझते रहेंगें? 18 साल की उम्र में उसकी जिम्मेदारियां तय करनी होंगी। अगर आप की संतान ड्रग ले कर आ रही है, एक्सीडेंट कर के आ रही है और बलात्कार कर के आ रही है तो जिसे आप अभी बच्चा समझ रहे हैं, उसका मताधिकार सरेंडर कर देना चाहिए।

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