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कविताएं सुरीले अंदाज़ में

– सरिता त्रिपाठी

लखनऊ, (उ.प्र.) : नीलम सक्सेना चंद्रा जी के फेसबुक पेज से शनिवार को तीसरी काव्यगोष्ठि “कविताएँ सुरीले अंदाज में” का आयोजन किया गया। आज के इस कार्यक्रम में सरिता त्रिपाठी जी (लखनऊ), निवेदिता रॉय जी (बहरीन), डॉ पूर्णिमा कुलकर्णी जी (पुणे) एवं दीप्ति सक्सेना जी (बदायूँ) ने प्रतिभाग कर अपनी कविताओं/गीतों को लयबद्ध सुर में प्रस्तुत किया। मंच का संचालन डॉ रेणु मिश्रा जी (गुणगाँव) ने किया जो कि रसायन विज्ञान की प्रोफेसर रह चुकी हैं। वह सुप्रसिद्ध कवियत्री एवं लेखिका हैं, उन्होंने अपनी ‘मन की मनके पुस्तक’ के बारे में आ० अनूप पांडेय जी के साथ अभी हाल ही में चर्चा किया था इसी पेज से जो काफी सराहनीय रहा था। कवियत्री सरिता जी जो एक रिसर्चर हैं अपनी कविताओं को सुरों में पिरोया हिन्दी में ‘इश्क का रंग’ व एक अवधी भाषा की रचना ‘ताला बंदी’ को लोकगीत धुन पर प्रस्तुत किया। कवियत्री निवेदिता जी ने बहुत ही उम्दा प्रस्तुति दी अपनी कविताओं को सुरों में पिरोया उनकी रचना ‘कुछ यूँ लगता है’ व ‘नजर पे हमारा नजर’ को श्रोतागणों ने खूब सराहा। कवियत्री डॉ पूर्णिमा जी जो अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं ने अपनी अंग्रेजी कविताओं को बेहतरीन सुर और तान दिया उनकी रचना ‘ऐड्यू’ व ‘विलहेलमाइन’ की प्रस्तुति शानदार रही। कवियत्री दीप्ति जी ने बहुत ही सुरीली आवाज में प्रस्तुति दी उनकी रचना ‘राधा की पाती’ व कवियत्री डॉ रेणु जी द्वारा रचित ‘कहाँ बीत गयी कहाँ गुजर गयी’ की बहुत ही उम्दा प्रस्तुति दी लोगों ने बहुत सराहा।

कार्यक्रम के संचालन में सभी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा, रेणु जी का मंच संचालन काबिले तारीफ रहा, उनकी चार लाइने बीच बीच में बहुत ही प्रेरणादायक एवं मंच को माहौल देती रही। प्रसून जी पोस्टर तैयार तत्परता से पोस्टर तैयार किया, नीलम जी का सभी को मंच देना बहुत ही सराहनीय है। नीलम जी रेलवे में ए डी आर एम हैं और सुप्रसिद्ध कवियत्री एवं लेखिका हैं जो नये लोगों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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