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कहानी  : “सहज पके सो मीठा होए” समय का सदुपयोग 

~ प्रतिभा दुबे

आज मैं आप से दो ऐसे महानुभावों कि कहानी बताऊंगी, जिसको सुनने के पश्चात आप की सोच को ये सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि किसी काम को करने में जो हम समय देते है उसका मूल्य हम उसे अपना समय देकर ही पाते है।

एक गांव में पानी की बहुत ही समस्या रहती थी। वहां के जो प्रधान थे वह आए दिन लोगों को मजदूरी देकर गांव के लिए उनसे पानी मंगवाया करते थे। जब यह रोज रोज की समस्या ने ज्यादा बड़ा रूप ले लिया तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना परमानेंट ही इसका इलाज किया जाए और लोगों को व्यवसाय दिया जाए, तब उन्होंने गांव में घोषणा करवा दी कि जो व्यक्ति जितना पानी गांव के लिए नदी से लेकर आएगा उसे उसकी मेहनत की कीमत दी जाएगी। एक बाल्टी का ₹100 और प्रत्येक बाल्टी में 10 लीटर पानी होना आवश्यक था।

यह खबर गांव के दो ऐसे बेरोजगार व्यक्तियों पर पड़ी जिनको काम की सच में जरूरत थी और वह दिन भर अपना यूं ही बताया करते थे। “राम और श्याम” यह दोनों जब गांव के प्रधान के पास पानी की बाल्टी को लेने के लिए पहुंचे तब प्रधान ने कहा जो जितनी बड़ी वाल्टी लेगा उसको उतने पैसे ज्यादा मिलेंगे। तब श्याम के मन में लालच आ गया क्योंकि वह शारीरिक तौर पर भी ठीक-ठाक था इसीलिए उसने भारी बाल्टी उठाने का मन ही मन निश्चय किया।

वहीं दूसरी ओर राम सोच रहा था की मैं अपनी यथाशक्ति अनुसार ही बाल्टी उठाओ ताकि मुझे थकान महसूस ना हो काम करने में और समय बचा कर मैं अन्य काम कर पाऊं। तो फिर राम ने ऐसा ही किया राम ने प्रतिदिन 10 लीटर पानी की बाल्टी को नदी से लाकर गांव में देना शुरू किया और अपने कार्य अनुसार प्रधान जी से रुपए प्राप्त किए। प्रतिदिन वही श्याम ने राम से भी ज्यादा भारी बाल्टी का चयन करके प्रधान जी से पानी लेकर आने के लिए दुगनी रकम पुरस्कार में प्राप्त की और वह राम से पैसे मैं काफी अमीर हो गया। तब राम को एहसास हुआ की यदि काम के पैसे मिलते हैं तो वह पैसे हम अपना समय देकर ही प्राप्त करते हैं हम जितना समय में पानी लाते हैं और गांव का काम करते हैं प्रधान उसी समय का मूल्य हमें दे रहा है। बस उसी समय से राम ने निश्चित किया आज से मैं पानी लाने के साथ बचे हुए समय में आराम करने की जगह एक और नया काम करूंगा।

राम ने नदी से गांव तक पानी लाने के लिए सुरक्षित पाइपलाइन बिछाना शुरू कर दिया। उसके यह कार्य को देखकर कई लोगों ने उसकी अपेक्षा की व यह जताया की यह कार्य अत्यंत कठिन है एवं तुम्हारे बस की बात नहीं, परंतु वह सब की अनसुनी करके बचे हुए समय में अपना कार्य करने में लगा रहा और मेहनत करता रहा। वही ज्यादा धन प्राप्त होने के कारण श्याम को मौज-मस्ती व धन खर्च करने की बुरी लत लग गई एवं वह मेहनत से कमाए हुए धन को अच्छे कार्यों में लगाना की जगह अन्य कामों में खर्च करने लग गया। वही राम दिन भर पानी लाता नदी से जाकर एवं बचे हुए समय में गांव के लिए नदी से एक ऐसी छोटी नहर या पाइप लाइन की व्यवस्था करने में लग गया जिससे आसानी से गांव में पानी बिना मेहनत के आ सके उसका यह कार्य संपन्न होते-होते उसे 3 वर्ष का समय लगा, परंतु जब उसको सफलता मिली तो जो लोग गांव में उसके खिलाफ थे, उन सब के मुंह पर ताले भी पड़ गए।

राम को प्रधान की ओर से पुरस्कार तो मिला ही साथ में गांव में नवीनीकरण वह शहरीकरण करने का अन्य पुरस्कार भी दिया गया एवं सम्मान भी। यही कारण है कि हम काम करते वक्त अपने आपको थका मानकर सीमित दायरे तक ही रहना चाहते हैं जबकि हमें अपने समय का सदुपयोग हर समय करने की लिए सोचना चाहिए काम चाहे घर का हो या बाहर का हर काम को यदि अपना उचित समय व ध्यान देकर किया जाए तो कार्य सफल होने के साथ-साथ सम्मान भी प्रदान करता है । क्योंकि समय ही वह वस्तु है जिसको देखकर हमें धन लाभ अवश्य होता है।

आज मैं राम और श्याम की तुलना वह आधुनिक युग के लोगों से कर सकती हूं जहां एक और राम में जो प्राइवेट जॉब करने के बाद भी अपने समय का सदुपयोग किसी और अच्छी चीज में करना चाहता है और एक तरफ श्याम है जोकि महीने की 30 से ₹40,000 सैलरी में खुश है और उसके लिए यह काफी है कह सकते हैं। आज मार्केटिंग युग है यदि हम अपनी जॉब के साथ-साथ कोई नियमित व्यवसाय की खोज करते है जो कि हमें अच्छी स्किल प्राप्त कराने के साथ, हमारे ज्ञान और अनुभव को भी भर आए तो यह हमारा हमारे जीवन में समय का सही सदुपयोग कहलाएगा।

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