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Mirzapur : अच्छे कर्मों का फल अच्छा मिलता ही है- IG पीयूष कुमार श्रीवास्तव

  • एक-एक ग्लैक्सी में अरबों-खरबों तारागण:डॉ कैलाश नाथ त्रिपाठी
  • ऋषि का अर्थ ही है गतिशीलता: डॉ बैजनाथ पांडेय
  • डॉ भवदेव पांडेय की पुण्य तिथि पर संगोष्ठी

रिपोर्ट : सलिल पांडेय

मीरजापुर, (उ.प्र.) : विन्ध्याचल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक पीयूष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अच्छे कर्मों का फल अच्छा मिलता है जबकि बुरे कर्म से भले की कोई तात्कालिक उपलब्धि मिल गई हो लेकिन उसका अंत बुरा ही होता है।

IG श्री श्रीवास्तव नगर के हिंदी साहित्य के शीर्ष समालोचक डॉ भवदेव पांडेय की 11वीं पुण्यतिथि पर गुरुवार, 25/2 को तिवराने टोला में ‘धर्म एवं विज्ञान में सान्निध्य के आयाम’ विषयक परिचर्चा गोष्ठी में मुख्य अतिथि पद से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्वत समाज नई राह दिखाता है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जीवन में एक समय आता है जब व्यक्ति खुद अपना मूल्यांकन करने लगता है।

विन्ध्याचल मण्डल में ‘विंध्य विद्वत परिषद’ के स्वरूप का दायित्व श्री श्रीवास्तव ने उपस्थित विद्वानों पर छोड़ा। गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप अपर आयुक्त (प्रशासन) श्री रमेशचन्द्र कार्यक्रम उपस्थित रहे।

निर्धारित ‘धर्म एवं विज्ञान में सान्निध्य के आयाम’ विषय की शुरुआत करते हुए केबीपीजी कालेज के अवकाश प्राप्त गणित विभागाध्यक्ष डॉ कैलाशनाथ त्रिपाठी ने कहा कि सभी धर्मों में आस्था, प्रेरणा, शांति, प्रेम, उदारता का उल्लेख तो है लेकिन हकीकत में होता इसके विपरीत ही है। धर्म के नाम पर लोग जिंदा जलाए जाते हैं जो चिंता की बात है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर धर्म के नाम पर अत्याचारों का विवरण मिलता है। उन्होंने कहा कि पूजा-पाठ, शादी और मांगलिक कार्यक्रम जितने भी हो रहे हैं, वह वेदों के अनुसार नहीं बल्कि पुराणों के आधार पर हो रहे हैं। वर्ष में कोई भी त्योहार वेद के अनुसार नहीं मनाए जाते। डॉ त्रिपाठी ने कहा कि वैदिक ज्ञान स्वतः विज्ञान है। एक एक ग्लैक्सी में अरबों-अरबों तारे है। विज्ञान ने जिन अणुओं और परमाणुओं को देखा, उसका उल्लेख वेदों में मिलता है।

संगोष्ठी में आदर्श इंटर कालेज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य वृजदेव पांडेय के व्याख्यान का आधार उपनिषद रहा और उन्होंने धर्म एवं विज्ञान को एक दूसरे का पूरक कहा जबकि केबीपीजी कालेज के अवकाशप्राप्त प्राचीन इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ के एम सिंह ने कहा कि विज्ञान कभी धर्म को खंडित नहीं करता, बल्कि उस पर शोध करता है। सगोत्री-विवाह न करने का निर्णय अब मेडिकल साइंस ने भी दे दिया है।

इसी क्रम में केबीपीजी कालेज के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष तथा माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व सदस्य नन्द जी चौबे का भी मानना था कि उन्नत एवं आदर्श समाज के लिए धर्मयुक्त विज्ञान लाभप्रद होगा।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते नए केबीपीजी कालेज के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ बैजनाथ पांडेय ने जो धारण करने योग्य है वह धर्म तथा जो जीवन को गति दे वह विज्ञान। उन्होंने कहा कि ऋषि का अर्थ ही गतिशीलता है। सनातन ऋषि पूर्ण वैज्ञानिक थे । ऋषियों ने सर्वप्रथम जिस अग्नि की खोज की उसी के विकसित रूप ऊर्जा है। 21वीं सदी जो दौड़ रही है, वह ऊर्जा के बल पर ही संभव है। ऊर्जा ठप तो जीवन ठप हो जा रहा है। यह जिंदगी और विकास दोनों पर लागू है।

प्रारंभ में नवगीतकार गणेश गंभीर ने समालोचक डॉ भवदेव पांडेय की साहित्यिकयात्रा का विस्तृत विश्लेषण किया।

अंत में धन्यवाद डैफोडिल्स स्कूल के उप प्रधानाचार्य अरविंद अवस्थी तथा संचालन ए एस जे इंटर कालेज के प्रवक्ता डॉ रमाशंकर शुक्ल ने किया।

गोष्ठी में पुरोहित वर्ग की ओर से पं जगदीश द्विवेदी, शशिकांत मालवीय, नितिन अवस्थी, राजन दुबे आदि ने वैदिक मंत्रों का पाठ किया। गोष्ठी में गैवीघाट हनुमान मंदिर के पुजारी रामानुज महराज, राजन पाठक, अजिता श्रीवास्तव, डॉ आशा राय, डॉ नीरज त्रिपाठी, गुलाबचंद तिवारी, शिवलाल अवस्थी, राजपति ओझा, केशवनारायण पाठक, डॉ गणेश अवस्थी, वैकुंठ पाठक, डॉ ध्रुवजी पांडेय, योगेंद्र नाथ मिश्र, जयराम शर्मा, शिवपूजन तिवारी, ज्ञान गौड़, श्रीश श्रीवास्तव, रामानन्द तिवारी, रविन्द्र पांडेय, एडवोकेट, शशि गुप्त, संतोष श्रीवास्तव, शिवशंकर उपाध्याय, संदर्भ पांडेय, समर शर्मा, पप्पू गिरि, जलज नेत आदि उपस्थित थे। अंत में प्रसून पांडेय द्वारा स्वामी अड़गड़ानन्द कृत ‘यथार्थ गीता’ की प्रति सभी को भेंट की गई।

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