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Chattarpur : खजुराहो की खूबसूरती ने कलाकारों का मोह लिया मन 

खजुराहो की खूबसूरती ने कलाकारों का मोह लिया मन

रिपोर्ट : निर्णय तिवारी

छतरपुर, (म.प्र.) : विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकैडमी मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा 20 से 26 फरवरी 2021 तक चलने वाले भारतीय शास्त्रीय नृत्य विधाओं पर आधारित 47वें अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव का समापन आज शुक्रवार को आर्यानंदे ओडिसी, पूर्णिमा अशोक भारतनाट्यम, जवाहर नेहरू मणिपुरी डांस अकेडमी द्वारा जोरदार नृत्य प्रस्तुति से मुक्ताशी मंच का परदा गिरा।

कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति जवाहर नेहरू मणिपुरी डांस एकेडमी के द्वारा प्रस्तुत की गई पुंगचोला और बसंत ऋतू की रासलीला प्रस्तुत की गई राधा कृष्ण की विषय वस्तु पर आधारित रासलीला श्रोताओं एक ट्रक नृत्य में खो गए।

बसंत रास 18वीं शताब्दी के दौरान वैष्णव पंथ के आगमन पर मणिपुर में भक्ति पक्ष की नई लहर दौड़ गई परिणाम स्वरूप यहां के गीत और नृत्य में इसका स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है रासलीला इसका प्रकट एवं प्रभावी उदाहरण है।

जवाहर नेहरू मणिपुरी डांस एकेडमी का इतिहास काफी रोचक माना जाता है, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मणिपुर की प्रथम यात्रा के दौरान महाराजा बोधचंद्र सिंह के आमंत्रण पर रासलीला देखने पहुंचे। जिस से प्रभावित होकर पंडित नेहरू इंफाल में मणिपुरी नृत्य का संस्थान बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ करवाया इस तरह मणिपुर नृत्य महाविद्यालय अस्तित्व में आया पंडित नेहरू के मृत्यु उपरांत उनके अकादमी स्थापना के लिए किए गए प्रयासों के सम्मान में संस्थान का 1964 में नामकरण कर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू के नाम पर रखा जिसका उद्देश्य मणिपुर के सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित कर उच्चत्तम स्तर प्राप्त है। अकादमी नृत्य रचना को प्रोत्साहित करने के साथ ही गुरु और मेधावी छात्रों को अनेक कला मंच उपलब्ध करवाती है।

पुंगचोलम भारत का प्रसिद्ध नृत्य जो बसंत ऋतु मैं होली के दौरान किया जाता है जो एक प्रकार का ढोल नृत्य है। अंग चोला जिसमें ढोल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है इसे नृत्यों में विशेष कहा जाता है अतिरेक ना होना जिसमे ध्वनि स्वर परिवतिर्त कर ले शांति सरसरी से बढ़कर गर्जना कर हो जाती है।

तो वही कार्यक्रम में द्वितीय प्रस्तुति मैं लक्ष्मी नृसिंगा जिसमें भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह का वर्णन देखने को मिला, जिसके बाद पल्लवी जो उड़ीसा का प्योर डांस प्रस्तुत किया गया उपरांत ओडीसी नृत्यांगना द्वारा अंतिम प्रस्तुति के तौर पर नवरस जिसमें रामायण पर आधारित सुंदरता को दर्शाया गया कि कैसे राम सीता को वन में घुमाते हैं, सौंदर्य का दर्शन कराते हैं एवं तालाब में मछली कैसे तैरती है जिसमें कई राज देखने को मिले जैसे वीर से शिव भंजन, करुण में काकासूर की मृत्यु पर सीता रोती है

और हास्य रस में सूर्पनखा की नाक किस तरह कटती है, देखने को मिला ओड़ीसी नृत्यांगना है एकल एवं सामूहिक प्रस्तुति में दक्ष एवं प्रख्यात आर्या नंदे द्वारा देश और विदेश में उत्कृष्ट प्रस्तुतियों व श्रेष्ठ प्रदर्शन से उत्क्रष्ट स्थान पाया सभी प्रमुख कला मंच पर प्रस्तुति दी जिनमे भारतीय नृत्य महोत्सव चेन्नई , रविन्द्र भारतीय विश्वविद्यालय महोत्सव कोलकाता, मानसून नृत्य महोत्सव भारत उत्सव, गुरु शिष्य नई दिल्ली, संगीत नाटक अकादमी गुजरात, अहमदाबाद आदि अनेक मंच पर अपनी प्रस्तुति से ख्याति प्राप्त की आपको शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में ओड़ीसी राज्य के राज्यपाल एवं मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया दुबई में 300 प्रतिभागियों में से सर्वश्रेष्ठ शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता प्रदर्शन में प्रथम स्थान का गौरव प्राप्त हुआ आप के श्रेष्ठतम कला प्रदर्शन से आपको स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है।

तो वहीं अंतिम प्रस्तुति बेंगलुरु की पूर्णिमा अशोक द्वारा प्रस्तुत की गई जिसमें भक्तों को भगवान की किस प्रकार आराधना करनी चाहिए कि उसे संपूर्ण शांति के साथ मुक्ति प्राप्त हो सके इसका नृत्य के माध्यम से सचित्र वर्णन देखने को मिला।

Pपूर्णिमा अशोक बेंगलुरु भरतनाट्यम की उत्कृष्ट नृत्यांगना है उन्होंने श्री राधा श्रीधर के साथ पदम विभूषण श्री धनंजय के सानिध्य में प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं श्रीमती कलानिधि नारायण से अभिनय की बारीकियों को सीखा दूरदर्शन कि ए श्रेणी की कलाकार पूर्णिमा अशोक 1989 में नृत्यांजलि की स्थापना की इन्होंने युवा प्रतिभाशाली नृतकों को इस कला का प्रशिक्षण दिया। जिनमें से अधिकतर ने प्रसिद्ध गुरुओं के साथ बेंगलुरु के वार्षिक नृत्य समारोह और सेमिनार कार्यशाला में भाग लिया 2017 में पूर्णिमा और उनके शिष्यों ने रूस के व्लादिवोस्तोक, खावारोयस्क और अंतयोम शहरों में अपने नृत्य की प्रस्तुति दी आपके उत्कृष्ट नृत्य प्रस्तुति से उन्हें अनेक मंचों से सम्मानित किया गया कर्नाटक नाट्य रत्न पुरस्कार, कर्नाटक नृत्य कला परिषद का नृत्य निपुण पुरस्कार, डॉक्टर बाल मुरली कृष्ण द्वारा नाट्यकला विपंची पुरस्कार व कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी का कर्नाटक कलास्त्री पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

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