Khula Sach
ताज़ा खबरमनोरंजन

Poem : राष्ट्रवाद

✍️ पंकज त्रिपाठी, हरदोई (उ.प्र.)

राष्ट्रवाद के मस्तक पर उभरी रेखाएं चिंता की।
शयनकक्ष में देशभक्ति सो रहीं नींद निश्चिंतता की।

प्रायोजित आंदोलन अंतर्मन ईर्ष्या विषकलश लिए।
जातिवाद परिवारवाद आतंकवाद विद्वेष लिए।

राष्ट्रभवन निर्माणी आवश्यकता है अभियंता की।
शयनकक्ष में देशभक्ति सो रहीं नींद निश्चिंतता की।

रखनी होगी नज़र डकैतों पर एवं शाहीनों पर।
क्रांतिवीर का पहन मुखौटा बैठे जो कालीनों पर।

ढूंढ रहे खामियां स्वयं पहचान नहीं गुणवत्ता की।
शयनकक्ष में देशभक्ति सो रहीं नींद निश्चिंतता की।

नहीं सुरक्षित रहा स्वर्ग था जो केसर की घाटी में।
बदल दिया रंग चाय बगानों का बलिदानी माटी में।

दंडित हों नापाक नीच जड़ मिटे नपुंसक धुत्ता की।
शयनकक्ष में देशभक्ति सो रहीं नींद निश्चिंतता की।

अलगाववाद मुद्रित ना होता तुष्टिकरण की स्याही से।
फिर उग्रवाद का बाप भी डरता अपने एक सिपाही से।

आवश्यकता देशभक्ति से सराबोर अरिहंता की।
शयनकक्ष में देशभक्ति सो रहीं नींद निश्चिंतता की।

याद दिलाना है शक्ती सामर्थ्य पवनसुत हनुमत की।
राष्ट्रवाद पर ध्वनिमत थपकी हो विपक्ष और बहुमत की।

अधिकार और कर्तव्यबोध चिंता हो राष्ट्रअस्मिता की।
राष्ट्र बनाएं विश्व गुरु चर्चा हो जग संप्रभुता की।

Related posts

New Delhi : एम वी फाउंडेशन द्वारा पर्यावरण संरक्षण महत्व व हमारा अस्तित्व विराट कवि सम्मेलन का आयोजन

Khula Sach

Mirzapur : अधिकारियो कर्मचारियो की डाटा फीडिंग 30 जनवरी तक सुनिश्चित कराये

Khula Sach

“शरद पूर्णिमा” व्रत का भी है खास महत्व 

Khula Sach

Leave a Comment