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एएससीआई ने विकास के अगले चरण में प्रवेश किया, नई ब्रांड पहचान का अनावरण किया गया

👉 मजबूत निगरानी और शिकायत प्रबंधन प्रणाली के साथ थॉट लीडरशिप अब नया मंत्र है

👉 विज्ञापन उद्योग का यह निकाय अधिक प्रतिक्रियाशील, गतिशील और समावेशी बनने के लिए तकनीकी नेतृत्व वाले भविष्य में निवेश करेगा

मुंबई : इन्फ्लुएंसर गाइडलाइन्स, asci.social, ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग के लिए दिशानिर्देश जैसी नई पहलों की एक श्रृंखला के साथ, एडवटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने अपनी नई ब्रांड पहचान का अनावरण किया है। यह नई ब्रांड पहचान एएससीआई को भविष्‍य का सामना करने के लिए तैयार और अधिक समावेशी होने के एजेंडा को परिलक्षित करती है। एएससीआई हमेशा भारतीय विज्ञापन उद्योग का सतर्क रक्षक रहा है, और इस नए चरण में, इसका लक्ष्य अपनी पेशकशों और सेवाओं का विस्तार करना है ताकि विज्ञापनदाताओं को रचनात्मकता और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने में मदद मिल सके।

अपने परीक्षित और मजबूत शिकायत प्रबंधन तंत्र और प्रक्रिया के अलावा, एएससीआई की भविष्य की गतिविधियों के तीन नए आयाम हैं : विज्ञापनदाताओं वे सेवाएं मुहैया कराना जिससे उन्हें “सही ढंग से काम करने” में मदद मिलती हैं इसमें एडवायजरी सेवाएं और शोध-आधारित जानकारी अध्ययन शामिल हैं। एएससीआई ने पहले ही जेंडरनेक्स्ट नामक एक व्यापक अध्ययन शुरू किया है, जो विज्ञापन में जेंडर के चित्रण को देखता है, और इसका उद्देश्य विज्ञापनदाताओं के लिए अधिक प्रगतिशील जेंडर का चित्रण प्रदान करना है। एएससीआई अपनी एडवरटाइजिंग एडवाइजरी सर्विस में भी बदलाव करने की प्रक्रिया में संलग्‍न है, जो विज्ञापनदाताओं को प्री-प्रोडक्शन स्टेज पर सपोर्ट करेगी। यह दृष्टिकोण अधिक जिम्मेदार विज्ञापन बनाने के लिए विज्ञापन ईकोसिस्टम को आवश्यक थॉट लीडरशिप, बढ़ावा और समर्थन देगा।

डिजिटल युग के लिए तैयारी : एएससीआई मानता है कि डिजिटल युग में, न केवल उपभोक्ता डिजिटल मीडिया पर अधिक विज्ञापन देख रहे हैं, बल्कि विज्ञापनों और मीडिया की दुनिया के साथ उनकी अपेक्षाएं और आदान-प्रदान भी बदल रहा है। इस नई वास्तविकता को दर्शाने के लिए उद्योग ने खुद को फिर से व्‍यवस्थित किया है। मार्केटिंग और इंफ़ोर्मेशन टेक्नोलॉजी का एक साथ आना यह निर्धारित कर रहा है कि विज्ञापन कैसे बनाए और देखे जाते हैं। डिजिटल युग में उपभोक्ताओं को सुरक्षित रखने के लिए हमारे दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं को अपडेट करना एएससीआई के लिए सर्वोपरि है।

टेक्नोलॉजी का प्रयोग : विज्ञापन कंटेंट पर नजर रखने और उसे मापने के लिए टेक्नोलॉजी उपकरण, मशीन लर्निंग और एआई सिस्टम का उपयोग भविष्‍य में एएससीआई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा। टेक्नोलॉजी एएससीआई को एडवटाईजिंग कंटेंट के विस्‍फोट पर वास्‍तविक समय में निगरानी रखने और अधिक सतर्क रहने में मदद करेगा। इसकी शिकायत प्रबंधन प्रणाली में टेक्नोलॉजी का उपयोग उपभोक्ताओं, उद्योग और एएससीआई के साथ अन्य हितधारकों के बीच एक सुचारू बातचीत को सक्षम बनाएगा।

एएससीआई के चेयरमैन सुभाष कामत ने कहा : “एएससीआई ने चुनौतियों के अगले चरण में कदम रखा है जो उपभोक्ताओं के हितों को नए तरीकों से प्रभावित करता है। डिजिटल युग द्वारा पेश की गई नए-युग की चुनौतियों के साथ, एएससीआई के लिए एक समकालीन थॉट लीडर बनने और उपभोक्ताओं, उद्योग और हमारे सभी हितधारकों के लिए अधिक महत्‍व जोड़ने के लिए आगे बढ़ना अनिवार्य है। नया लोगो एएससीआई की यात्रा के इस बेहद दिलचस्प चरण और जिम्मेदार विज्ञापन के जीवंत और आशावादी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। हमारी विचारधारा और उद्देश्य बदले नहीं हैं; बस अब हम एक अधिक गतिशील और भविष्य का सामना करने वाले संगठन बनने की राह पर हैं।”

केवी श्रीधर, चीफ क्रिएटिव ऑफिसर (ग्लोबल), निहिलेंट लिमिटेड, जिन्‍होंने नया लोगो डिजाइन किया, ने कहा : “रंगीन लोगो पैलेट विज्ञापन और संचार की जीवंतता के साथ ही एएससीआई के हितधारकों की विविधता को दर्शाता है जिन्होंने आत्‍म-नियमन की और जिम्मेदारी के साथ विज्ञापन बनाने की शपथ ली है। जिम्मेदारी के साथ रचनात्मकता का विचार एएससीआई के केंद्र में है। लोगो मीडिया प्लेटफार्म्‍स की गतिशील प्रकृति और उन नए दिलचस्प तरीकों को भी दर्शाता है जिसमें आज के समय में संचार एवं उपभोग किया जा रहा है। खूबसूरत और समावेशी फ़ॉन्ट नए प्रकार के हितधारकों के लिए खुलने वाले संगठन को दर्शाता है, एक ऐसा संगठन जो सहयोगी है और विभिन्न हितधारकों की जरूरतों को एक साथ लाने में नेतृत्व का प्रदर्शन करता है। यह संकेत देता है कि एएससीआई उपभोक्ताओं और विज्ञापन के इस तेजी से विकसित और गतिशील माहौल की ओर बढ़ रहा है।

एएससीआई के संस्थापक सदस्य, एडवर्टाइज़िंग दिग्गज रोजर सीबी परेरा ने कहा: आज की दुनिया 1985 में एएससीआई शुरू करने से काफ़ी अलग है। हालांकि, उल्लेखनीय बात यह है कि उपभोक्‍ताओं की सुरक्षा और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के सिद्धांत आज भी वही हैं।

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