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Poem : “मैं परेशान रहूँ क्यों …

✍️ मनीषा कुमारी

मेरी फिक्र नहीं उन्हें तो उनके लिए मैं रोऊँ क्यों।
मेरे बिना खुश है वो तो उनके लिए मैं परेशान रहूँ क्यों।।

पहले वो दिन-रात बात करता था।
आज वो बिना बात किये रह लेता हैं।।

उनको हमारी याद नहीं आती अब।
फिर मैं उनके लिए उदास रहूँ क्यों।।

वो खुशी से जीवन यापन कर रहा हैं।
परिवार के प्यार में मग्न हैं वो।।

वो मेरे बिना जिंदगी जी रहा हैं।
तो उनके लिए मैं अपनी जान दु क्यों।।

प्यार का एक हवा के झोंका बन के आया वो।
दुनिया के सारे गम देके बिना कुछ कहे चला गया वो।।

एक दूजे के दिल मे प्यार बसाया था वो।
फिर बेगाना करके छोड़ गया अब वो।।

तमाशा बना दिया मेरे जिंदगी का।
और गैरों के साथ आज खुश है वो।।

फिर उनके लिए हम सोचे अब क्यों।
जब वो नही तो उनके यादों के सहारे मैं जिऊँ क्यों।।

जब उसने रिश्ता निभाना ही नहीं चाहा।
तो उस रिश्ते के टूट जाने का गम करूँ मैं क्यों।।

अब हमने भी फ़ैसला कर लिया है।
तेरे सारे यादो को मिटा दिया हैं।।

अब नही कोई जगह बचा इस दिल में।
अपना आशियाना अब बनाना है हमें।।

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