- जीतेन्द्र कानपुरी टैटू वाले
मां की बात ही अलग होती है
सबसे पहले हमे खिलाती
बाद में खुद वो खाती है ।
कभी कभी बेचारी मां
भूखी ही सो जाती है ।।
बच्चों के लिए इतना तो
कोई बाप भी नहीं कर सकता है ।
जितना मां कर जाती है
जितना मां कर जाती है ।।
अपने बच्चों कि चाहत में
कोई भी काम करने लगती ।
बच्चों को कुछ हो जाए तो
पल्लु रखकर रोने लगती ।।
कभी कभी औलादों खातिर
आंसू बनकर बह जाती है …..
बच्चों के लिए इतना तो
कोई बाप भी नहीं कर सकता है ।
जितना मां कर जाती है
जितना मां कर जाती है ।।
मां के रहने तक बच्चा
कितना सुख पाता है ।
मां के जाते ही सारा
सुख… छिन जाता है ।।
मा जो छोड़ गई दामन
जिंदगी सूनी सी हो जाती है ….
बच्चों के लिए इतना तो
कोई बाप भी नहीं कर सकता है ।
जितना मां कर जाती है
जितना मां कर जाती है ।।