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Poem : “श्रावण मास”

✍️  प्रतिभा दुबे (“स्वतंत्र लेखिका), ग्वालियर, मध्य प्रदेश

शुभ है बहुत यह “श्रावण” मास
भक्ति भाव से भरा हुआ मन
प्रफुल्लित रहता आठो याम
लेता है बस “शिव” का ही नाम।।

बहुत ही शुभ है यह “श्रावण” मास
नन्ही नन्ही रिमझिम फुहार
अंबर से यह जब गिरती है,
नन्हें-नन्हें अंकुरण से
धरा की गोद को भर्ती है,
जैसे कोई प्रेम की बात।।

बहुत ही शुभ है यह “श्रावण” मास
पीहर से आता है यह संदेश
घर आओ तुम दोनों साथ
भाई बहन के रिश्ते में घुल जाती है
फिर से बचपन बाली मिठास।।

बहुत ही शुभ है यह “श्रावण” मास
जैसे कोई प्रीत की बात
शिव से लू बस यही वरदान
प्रिय संग बीते हर ” श्रावण” मास।।

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