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कविता : ” जन्मदिन “

जन्मदिन तो साल में सबका
एक बार ही आता है पर
सीमा पर खड़े जवानों का
कौन जन्मदिन मनाता है ।

ना जाने कब दुश्मन की ,
किस गोली पर नाम लिखा है
और कब शहीद हो जाना है
लक्ष्य है जीवन बस एक यही
मातृभूमि को विजय कराना है।

जो मातृभूमि की सेवा में
हर दिन अपना बिताते हैं ,
हर दिन नए सूरज के साथ
वह रोज जन्मदिन मनाते हैं।

अक्सर लोगों का जन्मदिवस
घरवाले ही मिलकर बनाते हैं,
परंतु धन्य है वह मात-पिता जो
तुम रहो समर्पित इस देश के लिए
यह कहकर वह रोज जन्मदिन मनाते हैं।

जब कोई धरती का लाल
यूं ही शहीद हो जाता है
उसके नमन को सारा जब
ये आसमान झुक जाता है,
ऐसे वीर जवान का तो
हर रोज जन्मदिन आता है ।

कभी मां बाबा की बातों में,
कभी बेटी से किए वादों में
और कभी जीवनसंगिनी संग
लेकर हर वचन के साथ ही
भारत माता का लाल सेवा
के लिए समर्पित होकर इस
भारत की माटी में ही अपना
रोज जन्म दिन मानता है ।।

“धन्य है वह सैनिक जो अपने
वतन पर कुर्बान हो जाता है,
सीमा पर खड़े जवानों का तो
रोज जन्मदिन आता है ”
जय हिंद जय भारती !

 

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