मुंबई : नरोत्तम शेखसरिया फाउंडेशन (एनएसएफ) ने डिजिटल लर्निंग सोल्यूशन प्रोवाइडर डिस्पर्ज और मान्यता प्राप्त संस्था सेंटा के सहयोग में “प्रोजेक्ट इग्नाइट” को लॉन्च करने की घोषणा की। एनएसएफ द्वारा डिजिटल युग में शिक्षण संस्थानों को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने और अपना अस्तित्व बचाने में मदद हेतु अनुदान मुहैया कराने के लिए यह प्रोजेक्ट पेश किया गया है। यह परियोजना शिक्षण संस्थाओं को बदलने और उन्हें ऑनलाइन और ऑफलाइन फार्मेंट का मिश्रित रूप अपनाने में मदद करने के लिए फाउंडेशन को मौका देने में कारगर साबित होगी। इन संस्थाओं में वर्चुअल एजुकेशन सिस्टम को स्ट्रीमलाइन करने के लिए वर्चुअल कैंपस और लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) की मदद ली जाएगी।
प्रोजेक्ट इग्नाइट को कोविड के बाद के बदले माहौल को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। आने वाले दिनों में शिक्षा व्यवस्था में संपूर्ण बदलाव आने की संभावना है और ऐसे दौर में वर्चुअल लर्निंग सिस्टम काफी प्रासंगिक हो गया है। एनएसएफ ने व्यापक रूप से विविध पहलुओं का प्रशिक्षण अनुभव प्रदान करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत का लाभ उठाने के लिए डिस्पर्ज से हाथ मिलाया है। इसके लिए प्लेटफॉर्म भी डिस्पर्ज़ नाम से ही ऑफर किया जा रहा है, जिसमें एक ही सिंगल यूजर इंटरफेस पर कई तरह की ऐप्स के इंटिग्रेशन की यूजर को इजाजत मिलेगी।
इसी तरह एनएसएफ ने सेंटा® के साथ सहयोग किया है, जिसमें वह ऑनलाइन टीचिंग-टेक्नोलॉजी मॉड्यूल पर कोर्स ऑफर कर रहा है। यह एक कंप्लीट प्रैक्टिस ओरिएंटेड कोर्स है, जो आमतौर पर 3 वेबिनार में प्रदान किया गया। इस कोर्स मे तीन विस्तृत पहलुओं को कवर किया गया। इसमें प्रभावी ऑनलाइन टीचिंग (क्लासेज को इंटरएक्टिव बनाने और तकनीक से प्रेरित शिक्षा प्रदान करने के तरीके को जोड़ने का गहराई से निरीक्षण के साथ), लेसन प्लानिंग और क्लासरूम में बातचीत (योजना बनाने, छात्रों के मूल्यांकन और शिक्षा में सुधार में तकनीक को एकीकृत करने पर जोर देने के साथ) शामिल है। इसमें मूल्यांकन के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित किया गया और यह भी देखा गया कि तकनीकी उपकरण किस तरह छात्रों को परखने में ही शानदार ढंग से मदद नहीं कर सकते, बल्कि इससे टीचर्स को भी प्रभावी फीडबैक मिलता है। वह छात्र की परफॉर्मेंस का विश्लेषण कर सकते हैं और उनके सुधार के उचित उपायों की योजना बना सकते हैं।
नरोत्तम शेखसरिया फाउंडेशन के सीईओ डॉ. मोनिक कामत ने इस लॉन्च के बारे में कहा, “नरोत्तम शेखसरिया फाउंडेशन में हम भविष्यवादी नजरिये में विश्वास रखते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का तरीका सीखने-सिखाने के नए उपायों को अपनाना है। हमने यह बहुत जल्दी पहचान लिया है। डिस्पर्ज के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी ऐसे समय सामने आई है, जब टीचर्स और स्टूडेंट्स को अपनी तरह–तरह की गतिविधियों के लिए विभिन्न ऐप्स के प्रयोग से जूझना पड़ रहा है। इसमें ऑनलाइन लेक्चर अटेंड करने से लेकर असाइनमेंट जमा करने तक के काम शामिल हैं। एक सिंगल इंटरफेस ने सभी को एक प्लेटफॉर्म पर लाने में मदद की है। सेंटा ने दूरदराज के क्षेत्रों में सीखने-सिखाने के तरीकों की बेहतर समझ बढ़ने से साथ शिक्षकों को टेक्नोलॉजी संबंधी उन उपकरणों का चुनाव कराने और उसे प्रयोग में लाने में मदद दी है, जो उनके संदर्भ में और उनके छात्रों की सीखने की जरूरत के संबंध में बेहद उपयोगी हैं।“
एनएसएफ की ओर से शिक्षण संस्थाओं को ग्रांट देने की जो योजना बनाई गई है, उनमें लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम और टीचर्स की ट्रेनिंग की प्रारंभिक लागत का खर्च वहन करने के लिए रकम दी जाएगी। इससे ऑनलाइन शिक्षण का स्तर सुधरेगा। शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सेंटा मतलब टीचर ट्रेनिंग के प्रशिक्षण पर आने वाला खर्च फाउंडेशन उठाएगा। नरोत्तम शेखसरिया फाउंडेशन एक्सिलेंस और इनोवेशन को बढ़ावा देने में मजबूती से विश्वास रखता है। इसके लिए वह स्टूडेंट्स और अपने करियर के बीच में पहुंचे प्रोफेशनल्स को स्कॉलरशिप और फैलोशिप प्रोग्राम से वित्तीय सहायता मुहैया कराता है। इसके लिए कई तरह की फैलोशिप और चेयर्स का गठन किया गया है। इससे शोध, मेडिकल और सर्जिकल ट्रेनिंग देने और वास्तुकला के संरक्षण में भी शिक्षण संस्थान सक्षम हो सकेंगे।