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आभार शब्द संतुष्टि के बराबर है किसी का धन्यवाद करने से हमें संतुष्टि प्राप्त होती है

✍️ आशी प्रतिभा दुबे, ग्वालियर मध्य प्रदेश

धन्यवाद एक ऐसा शब्द है जिसको कहने वाला भी संतुष्ट होता है और स्वीकार करने वाला भी । जिसके करने पर हमें आभार प्राप्त होता है और आदर भी मिलता है। आभार सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह एक माल्यार्पण जैसा ही हैं । यह प्रसन्न रहने की कुंजी और सम्मान है ।

कई बार देखा गया है हम किसी को छोटी-छोटी बातों में यदि धन्यवाद कहते हैं , तो वह अचानक ही प्रसन्न मुद्रा में आ जाता है और आपका आभार व्यक्त करता है। उसके द्वारा दिए गए आभार से आपको संतुष्टि प्राप्त होती है इसके अलावा आपके इस व्यवहार से आपका मानसिक स्वास्थ्य भी स्वस्थ रहता हैं।

“धन्यवाद या आभार” शब्द किसी के द्वारा की गई सहायता या किसी कार्य के बदले अपनी भावनाओं को त्वरित करने का या व्यक्त करने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है। कई अनुभवों में पाया गया है कि किसी की तत्काल मदद करने पर , एक एहसान भाव उत्पन्न हो जाता है तब यही कोई व्यक्ति आपका धन्यवाद कहता है तब आप भी उसका अभार व्यक्त करते हैं,और वह आपके व्यवहार की प्रशंसा अवश्य करता है अर्थात किसी की सहायता करने से आपको अपेक्षित सम्मान मिलना यही आपका सच्चा धन है क्योंकि सीधे तत्काल किसी की मदद करना या किसी परिस्थिति में किसी की, कि गई मदद में आप का मन सामने वाले के मन से एक “धन्यवाद करने से अटूट रूप से जुड़ जाता है एवं संबंधों में प्रगाढ़ता भी आती है।

हमारी मानसिकता पर धन्यवाद का काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है हमारे सभी धर्मों में धन्यवाद का बहुत महत्व है हमारे सभी धर्मों में एक बात समान रूप से कही गई है हमें ईश्वर ने जो भी दिया है उसका हमें हर पल शुक्रिया अदा करना चाहिए हमें जो भी प्राप्त है वह पर्याप्त है उसका आभार व्यक्त करना चाहिए हमें हमेशा शुक्रगुजार रहना चाहिए हमें हमेशा धन्यवाद करना चाहिए । धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करने से हमें आत्म संतुष्टि होती है।

कई अध्ययन एवम् कई हेल्थ सर्वे द्वारा यह बात स्पष्ट हो चुकी हैं कि जो लोग धन्यवाद करते हैं , वह लोग ज्यादा खुश रहते हैं । उन्हें जीवन में सामाजिक रिश्तो में अधिक संतुष्टि प्राप्त होती है क्योंकि वह किसी से अपेक्षा नहीं रखते परंतु उन्हें जो प्राप्त होता है उसका शुक्रिया अदा अवश्य करते हैं। जीवन को सकारात्मक रूप से जीने के लिए धन्यवाद कहना और मदद मिलने पर आभार व्यक्त करना संजीवनी बूटी की तरह कार्य करता है इसीलिए हमें हमेशा शुक्रगुजार रहना चाहिए एवं समस्याओं का समाधान करने के लिए सकारात्मक तरीके से जो भी मदद मिले उसका धन्यवाद अवश्य करना चाहिए। धन्यवाद भी आत्म संतुष्टि से किया गया कार्य है जो कि पुण्य समान हैं। यह हमारी वह पूंजी है जो हमें आत्मिक शांति देती है। इसीलिए कोशिश करना चाहिए कि हम धन्यवाद दे और आभार व्यक्त करें।

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