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Mirzapur : नव वर्ष पर लाखों भक्तों ने टेका माँ विंध्यवासिनी धाम में मत्था

झांकी पर माँ की एक झलक पाने को बेकरार दिखे मां के भक्त

रिपोर्ट : शिवबली राजपूत

विंध्याचल/मिर्जापुर, (उ0प्र0) : अंग्रेजी नव वर्ष के एक दिन पूर्व में ही लाखों भक्त दूर-दूर से आकर होटल,गेस्ट हाउस व अतिथि भवनों में रुक गए हुए थे। जिसके वजह से भक्त प्रातःकाल 4 बजे से ही मन्दिर के झांकी दर्शन के लिए मन्दिर पहुंच गए थे। मंगला आरती दर्शन के लिए काफी संख्या में भक्त खड़े होकर मां की आरती गाकर व जयजयकारा लगाकर पूरा मन्दिर प्रांगण व गलियों में हर जगह भक्ति का माहौल हर जगह देखने व सुनने को मिल रहा था।

नव वर्ष के पहले दिन मां विंध्यवासिनी मन्दिर में लोग सबसे पहले पहुंच कर चौखट पर अपना मत्था टेका और माँ से कामना किये कि नया साल सुखमय गुजरे और देश व प्रदेश में शांति हो । साथ ही कोरोना व ओमिक्रोन जैसी महामारी से लोगों को मुक्ति मिले। आज जैसे-जैसे दिन गुजरने लगा अचानक भक्तों की भीड़ मन्दिर में इस कदर उमड़ पड़ी कि वहां मौजूद दुकानदार सहित मंदिर के पुजारी भी हैरान थे । देखते ही देखते हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ मन्दिर में उमड़ पड़ी और लम्बी कतार लग गयी और देर शाम तक भक्तों की भीड़ मंदिर में दर्शन के लिए पंक्ति में लगे रहे । भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के साथ श्री विंध्य पंडा समाज के लोगों ने भी सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम पहले से ही कर लिया गया था ।

झांकी दर्शन के लिए एड़ी उठा-उठा कर कोशिश में लगे रहे भक्त

विंध्याचल अंग्रजी नव वर्ष पर प्रातःकाल से ही भक्तों की लंबी कतार लग गई थी। चरण स्पर्श बन्द होने की वजह से झांकी दर्शन के लिए भक्तों की काफी संख्या में भीड़ लगे होने के कारण गर्भगृह व झांकी के पास काफी संख्या में भीड़ होने से पीछे लगे भक्तों को दर्शन न मिलते देख भक्त अपने एड़ी पर बार-बार खड़े होकर मां की बस एक झलक पाने को बेकरार दिखे। काफी मशक्कत के बाद जब झांकी तक पहुंच पाए तो वहां पर लगे पुलिसकर्मी व तीर्थपुरोहितों ने हाथ पकड़कर आगे भेज देने की वजह से कई भक्तों को माँ की दर्शन भी न मिल सका।

लम्बी कतार में लगने के बावजूद भी भक्तों को मां का दर्शन न मिलने से निराशा घर को लौटना पड़ा, कई भक्तों को नहीं हो सका झांकी से मां का दीदार

चरण स्पर्श बन्द होने की वजह से भक्त झांकी से ही माँ का दर्शन करना मुनासिब समझा लेकिन भक्तों की काफी भीड़ होने की वजह से गर्भगृह में तीर्थपुरोहित के साथ मां के भक्त भी सामने खड़े हो जाते थे जिसके वजह से कई भक्तों को लम्बी कतार में लगने के बाद भी माँ की दीदार न होने से निराश व काफी दुखी होकर घर को लौट गए।

बिहार से प्रत्येक नव वर्ष पर मां की दरबार में हाज़िरी लगाने वाले वीरेंद्र प्रताप ने कहा कि देश में कोरोना व ओमिक्रोन जैसी महामारी देश आने के पहले ही लोगों ने घरों से निकल कर न सिर्फ नए साल का स्वागत किया बल्कि कोरोना से लड़ने व देश से उसे भगाने का अब पूरी तरह से मन बना लिया है । शायद यही कारण है कि लोगों ने इसकी शुरुआत माँ से आशीर्वाद लेकर किया है ।

त्रिकोण यात्रा को निकले स्थानीय व दूर दराज से आये भक्त

बिहार व दूर दराज से आये भक्त प्रातःकाल से ही गंगा स्नान करने के बाद भक्त त्रिकोण यात्रा के लिए निकल पड़े थे और मांविंध्यवासिनी काली,मां अष्टभुजा का दर्शन कर लोक कल्याण के लिए कामना किया।

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