Chattarpur : खजुराहो नृत्य महोत्सव की छठवीं शाम कथक भरतनाट्यम कुचिपुड़ी और छांव के नाम रही तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजा प्रांगण
आज होगा महोत्सव का समापन
रिपोर्ट : निर्णय तिवारी
छतरपुर, (म.प्र.) : खजुराहो नृत्य महोत्सव के छठे दिन का आगाज मैंत्रेयी साथी द्वारा कथक समूह की प्रस्तुति के साथ किया गया। इसके बाद दूसरी प्रस्तुति सत्यनारायण राजू के द्वारा भारतनाट्यम नृत्य की दी गई, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तीसरी और अंतिम प्रस्तुति आयाना मुखर्जी व प्रशांत कालिया के द्वारा कुचिपुड़ी और छाऊ युगल नृत्य के द्वारा दी गई। खजुराहो नृत्य महोत्सव मशहूर नृत्यांगनायों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों को देख मुक्ताकाश मंच तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। खजुराहो नृत्य महोत्सव में आज की पहली प्रस्तुति जगत जननी माता नवदुर्गा की प्रस्तुति दी, जिसमें सर्वप्रथम माता की वंदना से नृत्य की शुरुआत की जिसमें माता के कई रूपों को दर्शाने नृत्य के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया जैसे रूद्र प्रेम भाई इत्यादि मान्यता है कि अनेक नाम अनेक रूप धारण कर देवी मां हर वर्ष प्राकृतिक रूप से धरती पर एक निश्चित अवधि के लिए अवतरित होती हैं। जनमानस को भक्तों को प्रेम और शांति का प्रताप फैलाने के लिए हमारे अंदर शक्तिपुंज स्थापित कर जाती हैं। हर वधू हर नारी में शक्ति रूपा दुर्गा जगदंबे विद्यमान की प्रस्तुति ने दर्शकों अचंभित कर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया, जिससे पूरा प्रांगण गुंजायमान दिखा।
मैत्रैयी पहाड़ी के कथक नृत्य के द्वारा दी गई। मैत्रैयी पहाड़ी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में इनकी गणना प्रथम पंक्ति के कलाकारों में की जाती है। इन्होंने देश व विदेश के प्रमुख कला मंचों से नित्य प्रस्तुति कर अपने उत्कृष्ट प्रतिभा का परिचय दिया है। शास्त्रीय नृत्य प्रतिभा को देखते हुए प्रतिष्ठित चांस वालेस फैलोशिप 2003 से सम्मान किया गया। इन्होंने इंग्लैंड एवं स्कॉटलैंड की में कई कार्यशाला का आयोजन किया है। तो वहीं अगली प्रस्तुति सत्यनारायण राजू के द्वारा प्रस्तुत की गई तो वहीं बैंगलोर से आए सत्यनारायण राजू भरतनाट्यम और कत्थक को इतनी सुंदरता के साथ प्रस्तुत करते हैं कि लोग उनके नृत्य में खोए नजर आते हैं। आज प्रस्तुति में शिवाजी जिसमें भक्त भगवान शिव से प्रार्थना करता है कि पार्वती के पति शंकर आओ और हमारे पाप कर्मों से एवं हमारे दुख से हमें उभारकर और हमें मुक्ति दें दूसरा है। तिल्लाना भरतनाट्यम नृत्य विधा में प्रस्तुत किया जाने वाला सबसे अंतिम अंश है बहु विचित्र नृत्य भंगिमा ओं के साथ इसे प्रस्तुत किया गया। जिसमें हनुमान और राम के वार्तालाप को दर्शाया गया कि किस प्रकार राम परेशान होकर हनुमान से मिलते हैं और हनुमान पूछते हैं कि आप परेशान क्यों हैं तब राम रावण द्वारा सीता का हरण की बात कहते हैं हनुमान तुरंत जाने की बात करते हैं कि मेंं अभी जाता हूं और माता सीता को अपने कंधों पर बिठाकर लाता हूं राम सोच में डूब जाते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है हनुमान बताया कि आपके 1 नाम से क्या असंभव है और राम के आदेश पर हनुमान जी लंका जाते हैं और रामायण के आधार पर हनुमान की लंका और लौटने सहित का वर्णन किया। इस प्रसंग को नृत्य के माध्यम से देखने पर सभी दर्शकों की भाव विभोर कर दिया और सत्यनारायण की अंतिम प्रस्तुति में भगवान राम के गुणों को नृत्य के माध्यम से बताते हुए आनंद कैसे प्राप्त होता है इसे दर्शाने का प्रयास किया गया सभी श्रोता आनंद हो तो होकर थिरकने पर मजबूर हो गए नर्तक सत्यनारायण का जन्म 1966 में हुआ दूरदर्शन राष्ट्रीय चैनल पर कई प्रस्तुतियों के साथ सत्य दूरदर्शन की ए ग्रेड के कलाकार हैं भारत भर में प्रस्तुतियों दे चुके हैं और उन्हें यूके अमेरिका स्विट्जरलैंड और फ्रांस मालदीप और सिंगापुर में प्रशंसा के साथ सम्मान किया गया
आज की आखिरी प्रस्तुति अयाना मुखर्जी के द्वारा दी गई। जिसमें भगवान शिव की प्रार्थना के साथ नृत्य की प्रस्तुति दी। आयाना मुखर्जी कुचिपुड़ी नृत्यांगना हैं जो कि पद्म श्री गुरु जयराम राव और बंसरी राव की शिष्य हैं उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में अपने नृत्य कैरियर की शुरूआत की और कोलकाता के रविंद्र भारती विश्वविद्यालय से कुचिपुड़ी में अपनी डिग्री पूरी की अयाना ने चेन्नई की कुचीपुड़ी कला अकैडमी में पद्म भूषण डॉ बेमपती चिन्ना सत्यम के मार्गदर्शन मेंकुचिपुड़ी में प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा गुरु के निर्देशन में रुक्मणी कल्याणम कृष्णा परिजातम गोपी का कृष्ण इत्यादि जैसे प्रसिद्ध कुचिपुड़ी में पहली पंक्ति की प्रस्तोता के रूप में कार्य किया।एकल कलाकार के रूप में आपने अनेक समारोह में प्रस्तुतियां दी हैं अयाना दूरदर्शन की ग्रेड प्राप्त कलाकार हैं और आईसीसीआर में नामित हैं उन्हें तराना सम्मान एवं महिला दिवस के अवसर पर तेलुगू एसोसिएशन दिल्ली के पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
प्रशांत कालिया ने मयूरभंज छाऊ और समसाम्यिक नृत्य के प्रशिक्षण साध्य के निर्देशक गुरु संतोष नायर से किया है प्रशांत ने हिंदुस्तान और विदेश में अपने गुरु के सानिध्य में अनेक प्रस्तुतियां दी हैं । वे शिक्षक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। वे अपनी सटीक मुद्राओं अंग संचालन और स्वाभाविक सुघड़ता के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने लेबनान फिनलैंड रूस नार्वे स्वीडन चिल्ली और मिस्र जैसे देशों में प्रस्तुतियां दी हैं। एवं व्यक्तिगत कार्यालय भी की हैं जिसमें इन्होंने दुश्शासन, युधिस्टर और शिव सहित अन्य कई भूमिकाएं निभाकर भारत के अग्रणी आलोचकों की प्रशंसा भी पाई है।