– सलिल पांडेय
वैदिक काल के तपस्वी ऋषि बाजश्रवा ने दान का संकल्प लेकर जब आगतों को घटियादान किया तब पांच साल के पुत्र नचिकेता को दुःख पहुंचा और बोला-पिताश्री, मुझे किसे दान करेंगे?
पिता ने कहा-यमराज को !
नचिकेता सीधे पहुंच गया यमलोक। यमराज हुए आश्चर्यचकित। नचिकेता को आध्यात्मिक ज्ञान दिया।
दान उत्तम करना चाहिए। वस्त्रदान, अन्नदान या कोई वस्तु जो खुद इस्तेमाल न हो सके, वह देना आध्यात्मिक अपराध है।
ज्ञान भी नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक देना चाहिए।
विवाह में कन्यादान में भी बहुत बढ़ाचढ़ाकर नहीं बोलना चाहिए। कन्या गुणी नहीं, दुर्गुणों से युक्त है तो उसे देवी बनाकर कन्यादान करना भी आध्यात्मिक अपराध है।
समय और सहयोग भी दान है। जिसका साथ और सहयोग किया जाए तो उसमें स्वार्थ या छल का भाव गलत बताया गया है।