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अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के Vice President – Puneet Mehndiratta के साथ फार्म बिल्स को लेकर कुछ सवाल जवाब

खुला सच : अदाणी के खिलाफ़ यह आरोप है कि आपको इस बात की पहले से ही जानकारी थी कि सरकार कृषि बिल लाने वाली है। इसलिए आपने पंजाब के मोगा ज़िले में पहले से ही ‘सायलो’ का निर्माण कर लिया था, जिसमें अनाज का अत्याधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से भंडारण किया जाता है।

Vice President – Puneet Mehndiratta : हमने पिछले दिनों में बार-बार जनता के सामने सच्चाई रखी हैं कि अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स किसानों से कोई अनाज नहीं खरीदती है।

भारत जैसे विकासशील देशों में स्टोरेज इंफ़्रास्ट्रक्चर की कमी है। जहाँ एक तरफ़ हमारे देश में गरीबी और भुखमरी की समस्या है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक भंडारण सुविधाएँ न होने के कारण बहुत सारा अनाज खराब हो जाता है और खाने योग्य नहीं रहता।

अनाज को खराब होने से बचाने के लिए एवं अनाज की पूरी पोषण मात्रा Public Distribution System (PDS) के तहत वितरित किए जाने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने Food Corporation of India (FCI) के माध्यम से वर्ष 2005 में देश के विभिन्न राज्यों में grain silos, railway sidings और bulk train के निर्माण हेतु global tenders के लिए निजी कंपनियों से आवेदन मंगाये थे जिसमें अदाणी के अलावा देश और दुनिया की विभिन्न बड़ी बड़ी कंपनियों ने हिस्सा लिया था। क्योंकि अदाणी ने सबसे कम दाम क्वोट किए, इसलिए उसे प्रोजेक्ट लगाने का अवसर मिला जिससे वर्ष 2005 में अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स का जन्म हुआ। कंपनी 2007 से कार्यरत है और FCI को सेवाएँ प्रदान कर रही है। इसलिए यह कहना बिलकुल गलत है कि अदाणी ने सायलोस का निर्माण फार्म बिल्स आने के बाद किया है।

खुला सच : तो क्या यह मान लिया जाए कि अदाणी ग्रुप भविष्य में कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग करने का इरादा रखती है और इसके लिए जमीन का अधिग्रहण भी कर रही है? कुछ पार्टियाँ तो यह कैम्पेन चला रही हैं कि कृषि बिल अदाणी और अंबानी के लिए ही लाए गए हैं। क्या इन आरोपों में सच्चाई है?

Vice President – Puneet Mehndiratta : इसमें कतई भी सच्चाई नहीं है। मैं आपको यह आश्वासन दिलाना चाहता हूँ कि कंपनी कोई कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग का काम भी नहीं करती है और न ही भविष्य में कंपनी का ऐसा कोई इरादा है। यह भी गलत आरोप लगाया जा रहा है कि अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग के लिए पंजाब और हरियाणा में जमीन का अधिग्रहण कर रही है। कंपनी का पंजाब, हरियाणा अथवा किसी अन्य राज्य में कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग करने का कोई इरादा नहीं है। अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स मात्र अनाज के भंडारण एवं परिवहन का काम करती है, किसानों से अनाज खरीदने का काम FCI करती है। भारत में कम से कम एक दर्जन ऐसी कंपनियाँ हैं जो अनाज के भंडारण या परिवहन का काम करती हैं। अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स उन एक दर्जन कंपनियों में से एक है।

दूसरी बात, हमारा काम सिर्फ़ और सिर्फ़ आधुनिक और विश्वस्तरीय भंडारण एवं परिवहन इंफ़्रास्ट्रक्चर तैयार करना और उसे चलाना है। इस काम के लिए हमें तयशुदा फ़ीस मिलती है। और उस फ़ीस को कम्पीटिटिव टेंडरिंग के तहत फ़िक्स किया गया है। तीसरी बात, अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स जैसी कम से कम एक दर्जन और कंपनियाँ इस देश में हैं। चौथी बात, अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के द्वारा बनाया गया इंफ़्रास्ट्रक्चर देश की धरोहर है जिसका मुख्य उद्देश्य मेहनतकश किसानों के द्वारा उगाए हुए अनाज को सुरक्षित तरीके से सरकार की PDS व्यवस्था के अंतर्गत लोगों तक पहुँचाना है।

एक मुहावरा है – अगर किसी का काम ख़राब न कर सको तो उसका नाम ख़राब कर दो। अगर हमारे काम में कोई कमी है तो ज़रूर हमें सूली पर चढ़ा दें, लेकिन सिर्फ़ नाम ख़राब करने के लिए झूठे आरोप लगाना सही नहीं है.

खुला सच : आपकी आवाज़ में थोड़ा दर्द दिख रहा है। अगर आपकी बात मानें तो आपने मोगा में सायलो का निर्माण 2007 में किया था, तो फिर अदाणी के नाम के पुतले क्यों जलाए जा रहे हैं? आपके मोगा के सायलो के बाहर पिछले कई हफ़्तों से धरना प्रदर्शन क्यों चल रहा है?

Vice President – Puneet Mehndiratta : मैं सन् 2007 से अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स के साथ हूँ। जिस तरह से अदाणी का नाम खराब करने की कोशिश की जा रही है उससे मन में बहुत पीड़ा है। जैसा कि मैंने पहले बताया है कि अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स देश का पहला इंटेग्रेटेड स्टोरेज एंड ट्रांसपोर्टेशन प्रोजेक्ट है जिसके लिए tendering की प्रक्रिया सरकार ने 2005 में पूर्ण की थी; जिसके तहत कंपनी ने विभिन्न राज्यों में सात जगहों पर grain silos और railway sidings का निर्माण किया था।

प्रोजेक्ट का दूसरा बड़ा हिस्सा था रेलवे साइडिंग का निर्माण – न सिर्फ़ मोगा और कैथल में बल्कि चेन्नई, कोयंबटूर, बंगलोर, नवी मुंबई और हूगली में भी। इन पाँच जगहों पर अनाज का ट्रांसपोर्टेशन करने की ज़िम्मेदारी भी हमारी थी। और इसके लिए हमने बल्क ट्रेन भी अधिग्रहित की। हमने प्रोजेक्ट लगाने के लिए विश्वस्तरीय अत्याधुनिक टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया। अमरीकन राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी ने एक बार कहा था – “American roads are good not because America is rich, America is rich because American roads are good”.

देश के विकास के लिए अच्छे इंफ़्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत है और अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स फ़ूडग्रैन स्टोरेज इंफ़्रास्ट्रक्चर का निर्माण पिछले 15 वर्षों से कर रही है और आगे भी करती रहेगी।

जहां तक धरना प्रदर्शन की बात है मोगा सायलो में FCI किसानों से 2008 से अनाज खरीद रही है और जो भी किसान इस व्यवस्था से जुड़े है वे इससे बहुत खुश है और हर साल अपना अनाज FCI को बेचने के लिए मोगा सायलो में ही आते है। जितने भी प्रदर्शनकारी मोगा सायलो के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे है उसमें से ज़्यादातर बाहर के लोग है और स्थानीय इलाके से नहीं है।

2007 में जब हमने देश के पहले इंटेग्रटेड सायलो प्रोजेक्ट का निर्माण किया तो इसकी अपार सफलता को देखते हुए FCI ने अन्य राज्यों में ऐसे बहुत सारे प्रोजेक्ट लॉन्च किए। कुछ प्रोजेक्ट्स हमने बिड्स में जीते, बाकी प्रोजेक्ट्स दूसरी कंपनियों के पास हैं।

खुला सच : तो आपका कहना है कि यह खबर झूठी है कि अदाणी हरियाणा में रेल्वे ट्रैक्स का निर्माण इसलिए कर रहा है क्योंकि वो बड़ी मात्रा में किसानों से अनाज खरीदेगा?

Vice President – Puneet Mehndiratta : इसका आंकलन आप करिए कि कौन सी न्यूज़ फेक है और कौन सी सही। मैं आपके सामने तथ्य रख रहा हूँ। सायलोस का निर्माण कहाँ होगा यह सरकारी एजेंसी तय करती है। FCI ने टेण्डर्स फ्लोट किए जिसमें उन्होंने 26 लोकेशन्स सायलो के निर्माण के लिए चुनी। अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स ने उस टेण्डर में हिस्सा लिया। हमें सिर्फ दो लोकेशन्स मिली। बाकी 24 लोकेशन्स दूसरी कंपनियों के पास है। जो रेल्वे साइडिंग्स बनाने की बात है वो टेण्डर का यानि कि प्रोजेक्ट का हिस्सा है। रेल्वे साइडिंग्स सायलो को करीबी रेलवे लाइन से जोड़ने का काम करती है जिससे अनाज का उत्पादक राज्यों से पूरे देश में वितरण किया जा सके।

खुला सच : क्या आपने सायलोस के निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण किया है?

Vice President – Puneet Mehndiratta : जैसा कि मैंने पहले बताया सायलोस कहाँ बनेंगे ये FCI यानि बिडिंग एजेंसी तय करती है। जमीन कहाँ होगी और सायलोस बनाने के नियम क्या होंगे ये सब भी सिर्फ FCI ही तय करती है।

हमारे जैसी कंपनियों का काम सिर्फ प्रोजेक्ट को लागू करना और चलाना है जिसकी एवज में हमें एक निर्धारित फीस मिलती है। दूसरी बात, सायलोस बनाने के लिए कम जमीन की आवश्यकता रहती है क्योंकि सायलोस में अनाज को vertically स्टोर किया जाता है। जबकि ट्रेडिशनल godowns में अनाज horizontally स्टोर किया जाता है। सायलोस में जमीन का इस्तेमाल कम होता है, इसके अलावा इसमें यांत्रिकी एवं स्वचालित परिचालन (mechanised and automated operations) के कारण परंपरागत godowns की तुलना में शुरू से अंत तक फूडग्रेन सप्लाई चैन (end to end food grain supply chain) का खर्च काफी कम होता है और यह ज्यादा किफ़ायती है। जिसका सीधा फायदा सरकार को ही होता है।

खुला सच : 2017-18 में अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स ने एक रिपोर्ट में लिखा था कि उन्हें आनेवाले समय में कुछ नए और बड़े कांट्रैक्ट्स मिलेंगे और इन कांट्रैक्ट्स के कारण कंपनी के व्यापार में काफी वृद्धि होगी। तो क्या आपको पहले से पता था कि फार्म बिल्स आनेवाले है?

Vice President – Puneet Mehndiratta : अनाज भंडारण और परिवहन का फार्म बिल्स से कोई लेना देना नहीं है। देश में अनाज उत्पादन के साथ साथ उसके भंडारण और परिवहन की आवश्यकता भी बढ़ती रहती है। क्योंकि अदाणी एग्री लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर बिजनेस में है तो किसी भी कंपनी की तरह हम भी भविष्य के लिए प्लानिंग करते हैं। हर कंपनी आगे बढ़ना चाहती है। दुनिया की कोई भी कंपनी उठा के देख लीजिए वो फ्युचर प्रोजेक्ट्स के लिए प्लानिंग करती ही है।

खुला सच : क्या ये सच है कि सरकार ने यह वादा किया है कि वे AALL के भंडारण का लगातार 30 सालों तक उपयोग करेगी और गेरंटेड रेवन्यू देगी? और AALL को दी जानेवाली आमदनी में हर साल बढ़ोत्तरी होगी?

Vice President – Puneet Mehndiratta : सायलोस का निर्माण एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के रूप में किया जाता है जिसमें बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश होता है। कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का निर्माण लंबी अवधि के लिए किया जाता है। निजी कंपनियाँ उसमें तभी हिस्सा लेना चाहेगी जब इस प्रकार के प्रोजेक्ट्स को लंबे समय के लिए secure किया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए पहले प्रोजेक्ट कि अवधि FCI के द्वारा 20 वर्ष तय की गई थी, लेकिन और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एवं प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के लिए सरकार के द्वारा इसे 30 वर्ष किया गया। इसे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक standard practice माना जाता है।

जहां तक हर साल बढ़ोत्तरी का सवाल है । आप कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के टेण्डर डॉकयुमेंट उठा के देख लीजिये उसमें आपको इस तरह का क्लॉज़ मिल जाएगा, जो की price index से linked होता है, जिसका उद्देश्य महंगाई की वजह से बढ़ते हुए खर्च को समाहित करना है। यह escalation clause tender document में पहले से सरकार के द्वारा ही शामिल किया जाता है।

क्योंकि ये इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जिसका निर्माण FCI अथवा बिडिंग एजेंसी के लिए किया जाता है, इसलिए सरकार की तरफ से कंपनी के बिड रेट्स के मुताबिक गेरंटेड रेवन्यू का प्रावधान किया जाता है; और यह प्रावधान न केवल अदाणी के लिए है बल्कि उन सारी कंपनियों के लिए है जो इस क्षेत्र में कार्यरत है।

खुला सच : आपके खिलाफ ये आरोप है कि फार्म बिल्स पास होने के कुछ महीने पहले आपने 53 कंपनियों का गठन किया?

Vice President – Puneet Mehndiratta : ये आंकड़े गलत है। जब भी कोई सरकारी एजेंसी सायलो बनाने के लिए नया टेण्डर फ्लोट करती है तो टेण्डर की शर्त के मुताबिक एक नई स्पेशल पर्पस व्हिकल (SPV) का गठन करना अनिवार्य होता है। ऐसा आपको दूसरे infrastructure प्रोजेक्ट्स में भी देखने को मिलेगा, इसका उद्देश्य ये होता है कि हर टेण्डरिंग एजेंसी अपने प्रोजेक्ट को सुरक्षित रखना चाहती है। वो ये नहीं चाहती कि किसी दूसरी group कंपनी का प्रभाव उसके प्रोजेक्ट पर पड़े। कॉर्पोरेट लॉं के अनुसार हर कंपनी अपने आप में स्वतंत्र होती है। नई कंपनी बनाना कानून और बिजनेस की आवश्यकता है।

खुला सच : कहा जाता है कि भारत सरकार ने आपको सायलोस बनाने के लिए 700 करोड़ दिये है, इस बात में कितनी सच्चाई है?

Vice President – Puneet Mehndiratta : भारत सरकार ने हमें कतई भी 700 करोड़ तो क्या 7 करोड़ भी नहीं दिए है। जिस 700 करोड़ की बात की जा रही है वह अदाणी ग्रुप ने 2007 में सात जगहों पर इंटेग्रटेड पाइलट प्रोजेक्ट का निर्माण करने में निवेश किया है जिसके तहत कंपनी ने सायलोस, रेलवे साइडिंग्स, बल्क ट्रेन्स स्थापित किए और यह प्रोजेक्ट अपने आप में देश का ऐसा पहला प्रोजेक्ट है।

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