– अमृता पांडे
हौले हौले पग भरकर तुम मद्धम गति से आ रहे हो। तुम्हारी पदचापों को मन के आंगन में महसूस कर रही हूं मैं। बहुत इच्छा थी मेरी कि रोली चंदन से तुम्हारा अभिनंदन करूं। स्वागत गान कहूं। पर शायद ऐसा नहीं कर पाऊंगी। 2020 का भी मैंने बड़े मन से सत्कार किया था लेकिन बहुत ही दुखद रहा यह साल। सिर्फ मेरे लिए ही नहीं संपूर्ण मानवता के लिए। कोविड-19 नाम के एक नन्हे से वायरस ने आकर सारी दुनिया में हलचल मचा दी। शुरू में तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे सारी दुनिया ही कर्फ्यू की ज़द में आ गई। आवागमन बंद, विद्या के मंदिर बंद, कार्यालय बंद,सब कुछ बंद हो गया। जो जहां था, वहीं ठहर गया। करोड़ों इसकी चपेट में आए, कितनी असामयिक मौतें हुईं, जो ठीक भी हुए उनके कई शारीरिक अंग उम्र भर के लिए कमजोर पड़ गए। लाखों बेरोजगार हुए। सच कहूं तो मन मस्तिष्क में गहरा आघात लगा है और मैंने महसूस किया है कि काफी हद तक मानव स्वभाव भी बदल गया है।
नव वर्ष का स्वागत करना हमारी पुरानी परंपरा है इसलिए तुम्हारा स्वागत तो अवश्य करूंगी परंतु तुमसे एक वचन लेना चाहूंगी कि पिछले वर्ष की तरह कोई आपदा या महामारी साथ मत लाना। बहुत सहा है इस एक पूरे वर्ष मानव ने, अब इस दुख से उबरने की कोई तरकीब लाना।
तुम कहोगे कि बार-बार आने वाली ये विपदाएं मानव की भूल का परिणाम है, मैं तुम्हारी बात से पूरा वास्ता रखती हूं। निश्चित तौर पर, हमने प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ की है, नदियों का रास्ता बदला, पहाड़ों को काट डाला, पेड़ों को समूल जड़ नष्ट कर दिया, बिना ये सोचे समझे कि अगर पेड़ नहीं रहेंगे तो हम पानी और ऑक्सीजन कहां से पाएंगे।
लेकिन यह मानव भी तो एक विचित्र प्राणी है ना। यूं तो शीर्ष में मस्तिष्क धारण करने वाला एकलौता प्राणी है, फिर भी कई बार विवेक शून्य होकर नादानियां करता रहता है। लेकिन इस बार इसे जो सबक मिला है वह सचेत करने के लिए काफी है। यदि इस बार न समझे तो फिर दुष्परिणाम कुछ भी हो सकता है। आशा करती हूं कि तुम हमारी गलतियों को क्षमा करोगे। मैं तुमसे वादा करती हूं कि पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को पहले से भी अधिक सशक्त करूंगी तथा अन्य लोगों को भी इस बाबत सचेत और जागरूक करने में अपना योगदान दूंगी।
दूसरे लोगों की तरह मैंने भी नए साल के लिए कई संकल्प संजोये हैं। तुम उन्हें पूरा करने में मेरी मदद करोगे ना….! साल भर से बच्चे स्कूल नहीं जा पाए हैं।
ऑनलाइन कक्षाओं का तो कोई भरोसा नहीं कब इधर या उधर नेटवर्क गड़बड़ा जाए। बच्चों के मन मस्तिष्क पर भी गहरा मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचा है। बच्चों का तो ध्यान रखोगे ना….?
वृद्ध और बीमार जन अस्पतालों में इलाज नहीं पा रहे हैं क्योंकि अधिकतर चिकित्सक कोविड-19 के मरीजों के इलाज में व्यस्त हैं। कई समाजसेवी, चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, पत्रकार और आमजन बेवजह काल के ग्रास बने हैं। यह स्थिति अब दुसह्य हो गई है। इन बेकसूरों का तो ध्यान रखोगे ना तुम…!
देखो, 2020 को इस सदी का काला वर्ष कहा जाएगा।
पर मेरे 2021, तुम सुख का ऐसा सवेरा लाना कि तुम्हारा नाम युगों-युगों तक स्वर्णाक्षरों में लिखा रहे।
समस्त जग की सुख समृद्धि की मंगल कामना के साथ तुम्हारी प्रतीक्षा में…