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एनडीएमसी विकास में क्यों भेदभाव करती है ?

रिपोर्ट : आर.के.तिवारी

नई दिल्ली : नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के अध्यक्ष धर्मेंद्र ने पिछले दिनों पालिका परिषद की स्वच्छता गतिविधियों के लिए एक स्वच्छता गीत कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में लॉन्च किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि स्वच्छता का आग्रह करती धुन पर बजता यह गीत सभी नागरिकों को स्वच्छता की मुहिम में एकजुट करेगा। उन्हें स्वच्छ भारत मिशन और अगले स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित करेगा।

लेकिन धर्मेंद्र जी जब तक स्वच्छता मिशन में भेदभाव होता रहेगा, आप को कोई भी लक्ष्य प्राप्त होने वाला नहीं है। क्योंकि प्राइवेट कॉलोनियों में एनडीएमसी की मनमानी चलती है। स्वच्छता का प्रचार तो ठीक है, लेकिन स्वच्छता के लिए काम भी करना होगा। एनडीएमसी का स्टॉफ तो सरकारी कॉलोनियों में सब ठीक कर देता है, लेकिन प्राइवेट कॉलोनियों उत्तम नगर, राजापुरी, मधु विहार, द्वारका में सड़क को ठीक नहीं करता।

विधायक और सीएम तो आम आदमी पार्टी के ही हैं न। फिर यह भेदभाव क्यों ? एनडीएमसी के अधिका​री और विधायक प्राइवेट कॉलोनियों पर ध्यान नहीं देते। इन हालात में आम आदमी स्वच्छता कैसे रख पाएगा ? कूड़ा उठाने वाले प्राइवेट कॉलोनियों में चार पांच दिन नहीं आते हैं। वे तो सिर्फ हाजिरी लगा कर चले जाते हैं। इन प्राइवेट कॉलोनियों की सड़क ठीक नहीं है। उससे वाहनों के आवागमन में परेशानी होती है और जाम भी लगता है।

अगर कोई शिकायत भी करे तो कोई उसकी सुनवाई तक नहीं करता है। आम आदमी और जनता परेशान है। उत्तम नगर क्षेत्र की मधु विहार और राजापुरी की सड़कों पर सबसे ज्यादा गंदगी है। इसका कोई भी समाधान दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है। क्या सरकार सिर्फ विकास कार्यों के प्रचार प्रसार के लिए है।

न्यूज पोर्टल “खुला सच” ने इसका सर्वे भी किया है। सर्वे में पाया गया कि सिर्फ सरकारी कॉलोनियां ही स्वच्छ हैं और रोड भी सही है। प्राइवेट कॉलोनियों की सड़कें खराब हैं। सड़कों पर गंदगी और कूड़े कचरे का बोलबाला है। सफाई की गाड़ियां तो 5 से 10 दिन के अंतर पर आती हैं। जबकि उन्हें रोज आना चाहिए। क्या यही हमारे सीएम और विधायक कर रहे हैं?

आप ने बताया था कि पालिका परिषद क्षेत्र में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के दौरान अपने आगमन की घोषणा करने के लिए सभी ऑटो टिपरों में गाना बजाया जाएगा, ताकि नागरिकों को स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेने के लिए जागरूक किया जा सके। लेकिन जब गाड़ियां ही प्राइवेट कॉलोनियों में नहीं आएंगी तो गीत बजवाने से क्या फायदा?

पालिका परिषद के टोल-फ्री नंबर 1533 के साथ कार्यालयों के टेलीफोन एक्सचेंज में कॉलर ट्यून के रूप में भी गाना बजने की बात आप ने कही थी। लेकिन जब शिकायतों पर काम ही नहीं होगा तो इस व्यवस्था का क्या मतलब ?

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