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Poem : मजदूर तो सब है यहां

मजदूर तो सब है यहां,
अपना समय देकर
उसकी कीमत लेना ही
उसकी मजदूरी कहलाई ।।

कोई घर बनाता है ,
कोई करता यहां सफाई
किसी को आता माल ढोना,
कोई करता यहां पर खुदाई ।।

कोई बनाता रोज खाना होटलों में
किसी को सुरक्षा की नौकरी भाई
इज्जत से जीते सभी यहां पर
करते सब अपनी अपनी कमाई ।।

जात पात का भेद नही, ना होती लड़ाई
मजदूरी करने वाले भी इंसान होते है भाई
नौकरी करने वाला भी इंसान एक मजदूर है
समय देकर सेवा से करता मालिक की भरपाई ।।

मजदूरी करने वाले को तुम देना इज्जत सम्मान
हर छोटे-बड़े कामों के लिए करना सदैव धन्यवाद
अपनी मेहनत से यह सबका साथ देने चले आते है
अपने अथक परिश्रम से दो वक्त की रोटी कमाते हैं।।

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