मिर्जापुर, (उ.प्र.) : भारत सरकार के द्वारा पीएफआई को प्रतिबंधित किए जाने के बाद राजनैतिक दलों को मानो एक नई कहानी नया मंच और नई ऊर्जा मिल गई हो। सत्ता दल की माने तो मुद्दे का अभाव झेल रहे अन्य दलों को पीएफआई को प्रतिबंधित करने के बाद मुद्दे का मुकुट मिल गया हो। अब समाज में इस बात की लोग चर्चा करने लगे हैं की पी.एफ.आई का सैन्य विंग भारत की एकता के लिए ख़तरा कर रहा था।
लोग इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि आखिर हिंदुस्तान के अंदर तमाम ऐसे राजनीतिक दल भी मौजूद हैं जो पीएफआई को प्रतिबंधित किए जाने का पुरजोर विरोध भी कर रहे हैं। पी.एफ.आई के आतंकी / हिंसक गतिविधि से संबंधित खबर के अलावा भारत की आतंरिक सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव को भी लोगों ने एहसास किया है ।
पूर्व की ऐसी कई घटनाएं हैं जिसकी चर्चा भारतीय जांच एजेंसियां आज भी डंके की चोट पर करती हैं । पी . एफ.आई के गतिविधि की विभिन्न जाँच और इसके संवर्ग से विभिन्न मामलों में पूछ – ताछ पर यह पता चलता है कि पी.एफ.आई द्वारा भारत के प्रत्यके राज्यों में अपने विरोधियों को मारक दस्ते द्वारा जिन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया गया है द्वारा आतंकित करने की योजना का सनसनी खुलासा हुआ ।
उत्तर प्रदेश में मारक दस्ते मामले की जाँच कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि बहुत सारे युवाओं को पी . एफ.आई में शामिल कराया गया। पिछले वर्ष के मध्य में उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जिनमें अंशद बदरूद्दीन और फिरोज खान शामिल थे । केरल जिसको पी . एफ.आई की जन्मभूमि माना जाता है उनके पास से हथियार / गोला – बारूद के साथ 16 उच्च क्षमता वाले बिस्फोटक प्राप्त हुए थे । अशद पी . एफ.आई मारक दस्ता का राष्ट्रीय समन्वयक है और बम बनाने में निपुण होने के साथ एक ब्लैक बेल्ट धारक भी है । फिरोज पी.एफ. आई का राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षक है और बम बनाने में निपुण होने के साथ मार्शल कला में ब्लैक बेल्ट धारक हैं दोनों ने यह कबूल किया कि वो पी.एफ.आई की स्थापना दिवस के अवसर पर 17 फरवरी को विभिन्न जगहों पर विस्फोट करने की योजना बना रहे थे । ये लोग सीधे – सीधे युवाओं को दिग्भ्रमित करते हैं और उन्हें बम / बंदूक / बिस्फोटक चलाने का प्रशिक्षण देते हैं । दोनों ने यह खुलासा किया कि प्रत्येक राज्य में 25-25 सदस्य बनाने की योजना थी । वे युवाओं काचयन उनके ऑनलाइन गतिविधि द्वारा करते हैं और उनसे संपर्क उनके भड़काउ पोस्ट पर कमेंट को देखकर करते हैं । बाद में उन्हें पी.एफ.आई द्वारा निश्चित मानदंड के आधार पर अलग किया जाता है । उसी साल में पहले उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने सिद्धार्थ नगर के मोहम्मद रशिद को गिरफ्तार किया और उससे नकली दस्तावेज , राष्ट्रविरोधी सामग्री प्राप्त किया है । राशिद पी . एफ.आई का कमांडर एवं हथियार प्रशिक्षक था जो कि अनशद के तरह सीधे – सीधे दिग्भ्रमित युवा को पसंद करता था । वो कमजोर मुस्लिम युवाओं को उपदेश देता था और धर्म को लक्ष्य बनाकर राज्यों के खिलाफ हथियार उठाने को कहता था । राशिद ऐसे युवाओं को हथियार चलाने और शारीरिक लड़ाई के लिए प्रशिक्षित करता था ।
उत्तर प्रदेश एस . टी . एफ के जाँच से यह उजागर होता है कि राशिद ने प्रशिक्षण का एक प्रारूप तैयार किया था और उन्हें ग्रेड दिया जाता था जो राशिद से प्रशिक्षण लेते थे और उन्हीं ग्रेड के अनुसार उन्हें आगे जटिल हथियार चलाने की प्रशिक्षण दी जाती थी । हथियार या किसी और चीज का प्रशिक्षण पी . एफ.आई के लिए कोई नई बात नहीं है । कुछ साल पहले 2013 में केरल के कन्नूर जिले के नारथ नामक जगह से पी.एफ.आई प्रशिक्षण शिविर से हथियार और विस्फोटक की बरामदगी हुई थी । प्रशिक्षण शिविर से तलवार , लकड़ी की छड़ी , मानव पुतले , विदेशी करेंसी , मोबाइल और पी.एफ.आई पम्पलेट जब्त किए गए थे । जेडब्ल्यूएस के बैठक के दौरान इस बात की भी चर्चा हुई की जब भारत के तमाम जांच एजेंसियों के द्वारा कई राज्य एजेंसियों की जांच टीम से एक ही प्रकार की जांच रिपोर्ट आ रही है उसके बावजूद तमाम राजनीतिक दलों का जांच एजेंसियों के प्रति अविश्वास जाहिर करना देश के लोकतंत्र के लिए और अधिक खतरा हो सकता है।
अगर पी.एफ.आई सैकड़ों युवाओं को गैर पारंपरिक युद्ध रणनीति के लिए प्रशिक्षण दे रहा है और उन्हें धार्मिक रेखाओं पर प्रेरित कर रहा है । इतिहास गवाह है कि धार्मिक रूप से प्रेरित व्यक्ति यदि गलत रास्ते पर चले जाएँ तो वो राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति हो सकता है । इससे पहले की बहुत देर हो जाए . हिंदुस्तान के जांबाज श्रेष्ठ जांच एजेंसियों के अधिकारियों को प्रतिबंधित पीएफआई की कुंडली निकालनी चाहिए जिससे पूरी जानकारी देश के सामने आ सके।