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पीएफआई को गैरकानूनी संगठन घोषित करना हिंदुस्तान की परिपक्व और मजबूत लोकतंत्र का परिणाम है – जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसाइटी

मिर्जापुर, (उ.प्र.) :  जनपद के तमाम बुद्धिजीवियों में भी इस बात को लेकर उत्साह है कि अब हिंदुस्तान का लोकतंत्र न सिर्फ परिपक्व हो गया है बल्कि मजबूत भी हो चला है ।जिसका परिणाम है कि अब सरकारी निश्चिंत होकर बोल्ड निर्णय ले रही है। तमाम बुद्धिजीवियों की माने तो बिना राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन किए सिर्फ राष्ट्रधर्म की इच्छाशक्ति से हो रहे कार्य के चलते समूचे विश्व में भारत विश्व गुरु बनने की तरफ निरंतर अग्रसर हो रहा है।

एक गहन निगरानी जांच यह उजागर करता है कि पी.एफ.आई. के दो प्रमुख नेता इ.एम. अब्दुल रहिमन और प्रोफेसर पी . कोया पी.एफ.आई. के राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य हैं। जिनकी मेजबानी इस्तांबुल में आई.एच.एच द्वारा की गई थी । पी.एफ.आई. एक भारतीय कट्टर ‘ इस्लामिक संगठन हो चला है। जिसका ज़िक्र प्रायः अपराधिक गतिविधियों में आता है ।जिसमें हवाला कारोबार , दंगे भड़काना , राजनीति से प्रेरित हत्या , हथियार प्रशिक्षण कैंप का आयोजन करना , फिरौती के लिए लड़कों का अपहरण व उनकी हत्या करना , उत्तर – पूर्व भारत के लोगों के खिलाफ हेट एस.एम.एस. ( Hate SMS ) मुहिम चलाना , टी.जे. जोसफ पर हमला करना जिसमें उनके हाथों को काट दिया गया था , सिमोगा हिंसा , नागरिकता संशोधन विरोध कार्यक्रम के लिए धन इकट्ठा करना और लव जिहाद में संलिप्तता इत्यादि जैसे गंभीर बाते भारत की मुख्य जांच एजेंसियों के द्वारा बताया जाता है।

आरोप यहां तक है कि तुर्क राष्ट्रपति एरडोगन दक्षिण पूर्व एशिया में मुस्लिम समुदाय की पकड़ मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि बाद में 1924 में खत्म हुये खिलाफत प्रणाली को पुनर्जीवित किया जा सके । भारतीय उपमहाद्वीप में टर्की के इस योजना को पी.एफ.आई. जैसे हार्डकोर कट्टर संगठन अपने मंझे हुये कार्यकर्ता से बखूबी इसे सफल बना सकते हैं । पी . एफ.आई. , आई.एच.एच. से एकदम से मेल खाता है क्योंकि दोनों ही संगठनों अपने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है । अल – कायदा यू.एस.ए. को अपूर्णीय क्षति पहुंचा चुका है जिसके बदले पूरे विश्व में हजारों मुसलमानों को अपनी जान गवानी पड़ी । अल – कायदा से प्रेरणा लेकर पी . एफ.आई. धीरे – धीरे उसी हिंसा के रास्ते पर चल पड़ा है , जोकि अंततः भारतीय मुसलमानों के लिए ही विनाशकारी साबित होगा । याद कीजिये अल – कायदा का गठन शुरूआत में अफगानिस्तान के मुसलमानों को सशक्त बनाने के वायदे से किया गया था । सभी को पता है कि इसके उपरांत क्या हुआ । पी.एफ.आई. का भी गठन भारतीय मुसलमानों को सशक्त बनाने के लिए किया गया था जिससे उनके लिए न्याय , समानता और भाईचारा सुनिश्चित हो सके । आज यह संगठन विभिन्न इस्लामिक आतंकवादी संगठन जो कि हथियार रखने , अपहरण , हत्या , धमकी , हेट मुहिम , दंगा , लव जिहाद और धार्मिक कट्टरवाद से संबंध रखता है । अब हमें यह निर्णय लेना है कि क्या अल – कायदा की तरह ही एक कट्टर संगठन को भारत जैसे शांतिप्रिय देश में फलने – फूलने दें या उनका विरोध करें ?

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