✍️ पूजा गुप्ता, मिर्जापुर, उ.प्र.
लोग पहले जात देखते हैं गोत्र मिलान भी करते हैं सैलरी देखते हैं कुंडली देखते हैं और देखते हैं लड़की का पैर कैसा है उसे कदम कदम चलाकर देखते हैं फिर सवालों की बौछार… खाना बना लेती हो ना? सिलाई जानती हो ना? देखों तुम पढ़ी कितनी हो इससे फर्क़ नहीं… तुम घर सम्भाल लोगी ना? फिर तय करते हैं कपड़ो के रंग रूप की तरह चरित्र और रूप? और फिर जोड़ते हैं एक नया रिश्ता, मनचाही सब्जी खरीद ली हो जैसे.. और उसके बाद ये कहते हैं रिश्ता तो ऊपर वाला तय करता है। ये विडंबना है कि आज भी लोग कुंडली पर विश्वास करके लड़कियों की किस्मत को झोंक देते हैं।
मेरी भी यही आपबीती है मैं आज भी कुंडली के दायरों में फँसी हूँ, कभी कभी कोई मुद्दा खड़ा होता है यदि अच्छा व्यापार तो लड़की के पाँव बढ़िया है आते ही स्वर्ग बना दी और जब पति का कार्य ना बने तो कुंडली में दोष ढूंढते है। इस युग में भी कई जगह कुंडली के आधार पर फैसले होते आए, मेरी कुंडली मिलाई गई सब ठीक था। शादी हुई कुछ दिन सब सही था फिर कुंडली का खेल शुरु।
यहाँ वहाँ के पंडितों ने पूंजी बनाने के चक्कर में मिलान कर दिया किस्मत का मेरी। शादी के कुछ सालो बाद पता चलता है कि मैं अर्ध मंगली हूँ।
अब ससुराल का तांडव शुरू, जब कुछ सही नहीं होता मुझे चार बातें सुननी पड़ती हैं। बीस सालों में अब बोलने वाले जिंदा नहीं है लेकिन हमसफ़र नमस्ते ने कुंडली पर पूरा जीवन निकाल दिया मेरा। ये रत्न पहन लो वो रत्न पहन लो जीवन जैसे मेरा नहीं उन्हीं का है।
कभी कभी मन झल्ला उठता है इस शगुन अपशकुन के बीच। अधिकतर महिलाएँ इसलिए दहेज की आग में जलती है और कुछ समाज के लोग चटकारे लेते हैं।
जब मैं अपनी सखी की ये बात सुनी मन द्रवित हुआ लिखने को मजबूर हो गई। आखिर क्यूँ और कब तक चलेगा? कुछ अंधविश्वासी लोगों की वजह से घर टूट रहे हैं। समाधान निकालने की कोशिश कोई नहीं करना चाहते, सुनी सुनाई फालतू की कुरीतियों को खत्म कोई नहीं करते।
ये तो वहीं बात हो गई सब्जी की तरह पसंद करके लड़कियाँ खरीद लाए और जब सब्जी खाकर ऊब गए तो शुरू उसकी गुणवत्ता पर सवालों की बौछार।
मैं सभी महिलाओं और बेटियों से आग्रह करना चाहती हूँ आप सभी खुद को मजबूत बना कर ईन सब के दायरों से निकले, बेचारी बन कर रहोगी तो लोग दबा ही देंगे आपकी कोमल भावनाओं को, निकले इस दलदल से। कुंडली भाग्य में जुड़ने से पहले ही जाँच कर शादी करे वर्ना जिंदगी नर्क हो जाती है। दुनियाँ बदल रही है इस कुचक्र को तोड़ कर आगे बढ़े, खुद को आत्मनिर्भर बनाये ताकि आगे आपको ये सुनना ना पड़े “मेरे टुकड़ों में पल रही हो”
आजकल ससुराल हो या मायका सब साथ नहीं देते हैं बस लड़की बड़ी हो गई शादी करो इतना ही गाना गाते रहते हैं और हो जाती है बर्बाद लड़कियाँ कुंडली भाग्य में।
शादी करो तो लड़का लड़की खुद इतने समझदार हो कि अपनी जिंदगी सुखमय हो और कई युवा समझदार हैं आज के युग में बस वहीं प्रवेश करो जहाँ इज़्ज़त हो आपकी सखियों।
इसी उम्मीद के साथ अब लेखनी पर विराम दे रही हूँ आप सभी मेरे इस लेख को पढ़ेगी और अपनी खुशियों की चाबी स्वयं ढूंढेंगी। आप एक घर से दूसरे घर आई है खुशियाँ बिखेरने, खुद को बिखरने ना दे।