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“गुरु वंदना” ॐ सह गुरवे नमः

✍️ प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
(ग्वालियर, म.प्र.)

गुरु आत्म बलगु
रु ही ध्यान
गुरु चरणों से जीवन का
होता सदैव कल्याण……

मात-पिता है प्रथम गुरु
उन्हें करती हूं मैं प्रणाम
मेरे लिए है मात पिता
ईश्वर के है समान …….

अंधकार भरे जीवन में
मिला जब गुरु से ज्ञान
धीरज, धर्म श्रद्धा और सबुरी
सब गुरु की कृपा समान….

गुरु शरण में जो गया
मिट जाए मन का मैल
भेद भाव सब भूल कर
करे जो सबसे मेल….

मन के कोष में मोती भरे
निर्मल स्वच्छ अनमोल विचार
अंधकार से प्रकाश की ओर
ले जाता है गुरुदेव का ज्ञान….

गुरु मिलन से धन्य हुआ
सफल मनोरथ है आज
गुरु जैसा ना कोई दूसरा
माता पिता समान……

गुरु से ही गोविंद मिले
गुरु से मिला सब ज्ञान
बलिहारी गुरु आपकी
मैं करती तुम्हें प्रणाम।।

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