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संक्रांति-पर्व के संबन्ध में कुछ प्रमुख बातें
– सलिल पांडेय
- इस वर्ष 2021 में 14 जनवरी को सूर्यनारायण अपराह्न 2:37 बजे मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होंगे।
- सामान्यतया संक्रांति के 16 घड़ी (6 घण्टे 40मिनट) पहले पुण्यकाल माना जाता है। अतः प्रातः 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक पुण्य कार्य यथा स्नान एवं दान किया जा सकता है। मकर संक्रांति में तो 16 घण्टे पूर्व का भी विधान है। अतः मकर संक्रांति के अवसर पर गुरुवार 14/1 को सूर्योदय 6:43 से स्नान किया जा सकता है।
- सूर्य के मकर राशि में जाने के इस पर्व को उत्तरायण-संक्रांति भी कहते हैं।
- इस संक्रांति पर सही व्यक्ति (वास्तविक जरूरतमंद)को गर्म वस्त्र देना चाहिए। सही व्यक्ति का चुनाव ही कठिन काम होता है।
- दान देने से कोई आलसी बनता है, नशा करता है या अन्य कोई नकारात्मक काम करता है तो देने वाले को भी दोष लगता है।
- संक्रांति के दिन पुत्र वाले गृहस्थ लोगों को व्रत नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा पुत्र वाले गृहस्थ लोगों को रविवार, सूर्यग्रहण तथा चंदग्रहण का व्रत नहीं रखना चाहिए।
- पितृदेवताओं के प्रति सम्मान में सूर्य-संक्रांति के दिन श्राद्ध लाभप्रद बताया गया है।
- मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होंगे। अतः उत्तरायण के समय अपराह्न 2:37 से बीस मिनट पहले यानि अपराह्न 2:17 से 2:57 कुल 40 मिनट का समय अति पुण्यकाल है।
- मांगलिक कार्यक्रमों की तरह संक्रांति के वक्त रात्रि में भी स्नान और दान शुभ बताया गया है।
- सामान्यतया गुरुवार को लोग खिचड़ी नहीं खाते लेकिन पर्वों पर यह निषेध लागू नहीं होता। अतः 14/1 को खिचड़ी खाने का विधान है।