रिपोर्ट : रितेश वाघेला
महाराष्ट्र : प्रदेश के भंडारा के सरकारी अस्पताल में बच्चों के वार्ड में बीती रात करीबन डेढ़ बजे आग लग गई। आग में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों की उम्र एक दिन से लेकर 3 महीने तक बताई जा रही है।
अस्पताल के आईसीयू वार्ड में कुल 17 बच्चे मौजूद थे, इनमें 10 को नहीं बचाया जा सका। ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने धुँवा देख दरवाजा खोला और कमरे में चारों तरफ धुआं था, उन्होंने तुरंत अस्पताल के अधिकारियों को बताया। जिसके बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने अस्पताल में लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। आग लगने की वजह अभी पूरी तरह साफ नहीं हो सकी है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी। 17 में से 7 बच्चे जो नवजात शिशु इनवार्ड में थे उनको बचाया गया जिनकी हालात सामान्य है, पर जिले के अन्य तहसील गावो से आये आउट वार्ड के 10 बच्चो की धुंवे से दम घुटकर मौत हो गयी। अस्पताल के बाकी पेशंट को भी सुरक्षित वार्ड में शिफ्ट किया है।
बीती रात करीब दो बजे यह आग लगी 17 शिशु मे से केवल 7 को बचाया जा सका। घटना के दौरान बीती रात जिला सरकारी अस्पताल के आउट बॉर्न यूनिट से धुँवा उठता दिखाई दिया। मौजूद नर्स ने दरवाजा खोल कर देखा वहा बड़े पैमाने पर धुँवा और आग लगी हुई थी। नींद मे सोये अधिकारियो को सुचित किया गया, अग्निशमन दल और आम जनों की मदत से बचाव कार्य शुरु हुआ।
इस विभाग मे आऊट बॉर्न और इन बॉर्न दो यूनिट है। जिसमे से इनबॉर्न यूनिट के साथ नवजात शिशु सुरक्षित है, लेकिन 10 निर्दोष नवजात काल के गाल मे समा गए। बड़ा सवाल खड़ा होता है जिला अस्पताल का इतना बड़ा तंत्र, आग भी लगी मासूमो की दर्दनाक मौत हुई और यह सब होने के बाद प्रशासन को पता चला, और क्यों आग बुझाने का पर्याप्त संसाधन मौजूद नही था अस्पताल में।
बहुत बड़ी लापरवाही का मामला है ये : कल ही महारास्त्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भंडारा जिले का दौरा किया था और एक बड़ी सरकारी परियोजना का उद्घाटन किया था और आज उसी भंडारा जिले के एक अस्पताल में इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई। जो नावजात शिशु मरे है उनके परिजनों, माताओं के रो रो कर बुरा हाल है। इस मामले मैं स्थानीय जिलाधिकारी, एसपी, प्रशासन सब मौके पर पहुंचे है।