✍️ कुशल भार्गव, को-फाउंडर, मायब्रांच सर्विसेज
पारंपरिक रूप से बड़े शहरों में स्थित को- वर्किंग स्पेसेस का छोटे शहरों की ओर रुख करने से भारत में रिमोट वर्क की दुनिया बहुत ही तेजी से बदल रही है। अब पहले से कहीं ज्यादा लोकेशन को जानने-समझने की कोशिश की जा रही है। हम भारत की कुछ ऐसी ही पांच जगहों के बारे में यहां आपको बता रहे हैं, जहां हाल के वर्षों में को-वर्किंग स्पेस की मांग बढ़ी है। इसके साथ ही पर्यटन, स्थायी निवास और नौकरी के अवसर भी बढ़ते नजर आ रहे हैं।
👉 ऋषिकेश, उत्तराखंड : आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों, खासकर अध्यात्म की खोज करने वाले और एडवेंचर के शौकीनों की सालाना संख्या में लगभग 15% के बढ़ोतरी के साथ काफी उछाल देखा गया है। इसके साथ ही, डिजिटल घुमक्कड़ों और रिमोट वर्कर्स की वजह से भी को-वर्किंग स्पेस की मांग में उछाल आया है। ऐसा अनुमान है कि साल-दर-साल इसमें 20% की बढ़ोतरी हुई है।
👉 वाराणसी, उत्तरप्रदेश : वाराणसी में पर्यटन तथा स्थायी निवास दोनों में ही काफी वृद्धि दर्ज की गई है। हर साल पर्यटकों के आगमन में औसतन 10% और लोगों के स्थायी निवास में 15% का इजाफा देखा गया। सैलानियों व यहां बसने की चाहत लेकर आने वालों की वजह से को-वर्किग स्पेसेस की मांग में तेजी आई है। इस सेक्टर में आश्चर्यजनक रूप से सालाना लगभग 25% की बढ़त देखी जा रही है।
👉 गोवा : हर साल लाखों सैलानियों के आने से गोवा की अर्थव्यवस्था अभी भी प्रमुख रूप से पर्यटन से ही संचालित होती है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 4.73% की वार्षिक औसत दर के हिसाब से पर्यटकों की संख्या में काफी तेजी देखी गई है। इसके साथ ही, रिमोट वर्क में बढ़ोतरी होने से को-वर्किंग स्पेस की मांग बढ़ी है। इसकी वजह से ऑक्यूपेंसी रेट या अधिभोग दर में काफी वृद्धि देखी गई है। साल-दर-साल अनुमानित रूप से इसमें 30% की बढ़ोतरी हो रही है।
👉 धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश : पयर्टकों और स्थायी निवास के रूप में भी धर्मशाला एक पसंदीदा स्थल के रूप में सामने उभरकर आया है। खासकर, जो लोग हिमालय की स्वच्छ वादियों में रहना चाहते हैं। हर साल लगभग 12% की दर से पर्यटक यहां आ रहे हैं, वहीं धर्मशाला में आकर बसने वालों की संख्या में सालाना लगभग 20% का इजाफा हो रहा है। पर्यटकों और रहवासियों की संख्या में आए इस उछाल ने को-वर्किंग स्पेस को विस्तार देने के लिए प्रेरित किया । इसमें साल-दर-साल लगभग 35% की वृद्धि का अनुमान है।
👉 पॉन्डिचेरी : हाल के कुछ वर्षों में पॉन्डिचेरी में लगभग 10% की सालाना वृद्धि के साथ पर्यटन में काफी उछाल देखा गया है। इसके साथ ही स्थायी रूप से पॉन्डिचेरी जाकर बसने वाले लोगों में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है। हर साल इसमें लगभग 15% की दर से बढ़ोतरी हो रही है। सैलानियों तथा रहवासियों की इस वृद्धि ने को-वर्किंग स्पेस की मांग बढ़ा दी है। इसकी वजह से ऑक्यूपेंसी दर में काफी बढ़त देखी गई और साल-दर-साल 25% बढ़ोतरी की उम्मीद की गई है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत में रिमोट वर्क लगातार गति पकड़ रहा है। छोटे तथा अनदेखे ठिकाने अब को-वर्किंग स्पेस के लिए एक नए जहां के रूप में उभर रहे हैं। पर्यटकों, स्थायी निवास और नौकरी के अवसरों के बढ़ने के साथ को-वर्किंग स्पेस का विस्तार अपने फलक तक पहुंचने वाला है। इन जगहों पर आने वाले वर्षों में काम तथा यात्रा एक नया आकार लेता हुआ नजर आएगा।