Khula Sach
ताज़ा खबरमनोरंजन

Poem : शोभा नहीं देता…

✍️ मनीषा झा, विरार महाराष्ट्र

मेरे शहर में आके मुझसे ही जी चुराना तेरा शोभा नही देता
ऐसे छुप के मेरे आंगन का दीदार करना शोभा नही देता।।

यू सपनों में आकर नजरे मिलाना बार बार यूंही तड़पाना,
न मिलने का मुझसे तेरा बहाना बनाना शोभा नही देता।।

पास आऊं तो शरमाते हो दूर जाके यूं प्यार जताना तेरा,
चुपके से मेरे तस्वीर का यू दीदार करना शोभा नहीं देता।।

यूंही मुझसे छूप छुप के मिलने के लिए बुलाना तेरा,
फिर लबों से कुछ न कहना तेरा शोभा नही देता।।

दिल में एक प्यार की ज्योत जलाना फिर उसे खुद ही बुझा देना,
ऐसे इस तरह का तेरा रूसवाई करना शोभा नहीं देता।।

जब पास न हो तो बहुत प्यार करना तेरा ,
पास आते ही मुकर जाना शोभा नहीं देता।।

यूंही बार बार प्यार इज़हार करना तेरा,
फिर अचानक से भूल जाना शोभा नही देता।।

हर सावन तेरा यूं तड़पाना शोभा नहीं देना,
वादे करके फिर से यू ही भूल जाना शोभा नहीं देता।।

Related posts

जिया साहित्य मंच पर ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य सम्मलेन का शानदार आयोजन- कवियों ने अपनी रचनाओं से बांधा समाँ

Khula Sach

हॉप इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ने दो नए ई-स्कूटर लॉन्च किए

Khula Sach

आयरन लेडी संजुक्ता पराशर

Khula Sach

Leave a Comment