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आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण है रेनू मिश्रा की कविताएं: शंभुनाथ त्रिपाठी 

प्रयागराज: “आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण रेनू मिश्रा की कविताओं का आयाम ही अलग है। रेनू मिश्रा की कविताओं में बिम्ब बोलते है जैसे खिले हुऐ चमन में फूल खिलते है वैसे ही रेनू मिश्रा की कविताओं में भाव आते हैं” उक्त विचार रेनू मिश्रा पर केंद्रित शहर समता के साहित्यिक विशेषांक पर केन्दित विशेषांक के लोकार्पण के अवसर पर अध्यक्षता कर रहे शंभु नाथ त्रिपाठी अंशुल ने कहा। इस आयोजन के मुख्य अतिथि आर्य कन्या इंटर कॉलेज के प्रबंधक पंकज जायसवाल रहे एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि श्री शीलधर मिश्र एवं वरिष्ठ कवयित्री उमा सहाय रहीं।

आयोजन का शुभारंभ अध्यक्षता कर रहे शंभुनाथ त्रिपाठी, मुख्य अतिथि पंकज जायसवाल एवं विशिष्ट अतिथि शीलधर मिश्र एवं उमा सहाय द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ । वाणी वंदना अनामिका पाण्डेय ने प्रस्तुत की। तत्पश्चात विशेषांक का लोकार्पण किया गया। संपादकीय वाचन उमेश श्रीवास्तव ने किया। लोकार्पण के पश्चात एक सरस काव्यगोष्ठी भी हुई जिसमें उमा सहाय, रचना सक्सेना, रुबी राज सक्सेना, मुक्तक सम्राट पाल प्रयागी, डॉ अमिताभ कर, डॉ प्रदीप कुमार चित्रांशीं, शीलधर मिश्र, नमन मिश्रा, पं राकेश मालवीय, आशा श्रीवास्तव, अर्चना जायसवाल, दिनेश मिश्रा,देवी प्रसाद पाण्डेय, श्री राम मिश्र तलब जौनपुरी, शरत मिश्रा, महक जौनपुरी, उर्वशी उपाध्याय, सरिता मिश्रा, चेतना, नीना, कृष्णा शुक्ला, यशी पाठक, अभिषेक, मोहिनी श्रीवास्तव, रेखा तिवारी आदि रही।

रेनू मिश्रा दीपशिखा जी के बारे में अमालेस संस्थापक प्रवीण तिवारी रविआभा ने अपनी शुभकामनाएँ देते हुए लिखते है कि आदरणीया रेनू मिश्रा दीपशिखा जी एक सच्ची शिक्षिका एवं श्रेष्ठ साहित्यकार के साथ ही मानवतावादी दृष्टिकोण से संपन्न व्यक्तित्व हैं। अन्त:करण से समाजसेविका हैं। आपका पारदर्शी एवं सकारात्मक व्यवहार ही आपको सफल साहित्यकार एवं महिला सशक्तिकरण की आवाज सिद्ध कर रही है। आपके उज्ज्वल भविष्य की असीम शुभकामनाएँ।

इसी क्रम में सतना मध्यप्रदेश के सुबेदार राजेश कुमार तिवारी “रामू काका” ने अपनी शुभकामना देते हुए रेनू जी पर कुछ दोहे लिख डाला  …..

दोस्त के दोहे

इतनी बड़ी विभूति हैं, शारद सुता महान।
छोटी है मम लेखनी, कैसे लिखूं बखान।।

रेनू मिश्रा नाम से, ये प्रसिद्ध हैं आज।
कुशल शिक्षिका लेखिका, हमें आप पर नाज।।

पिता श्याम के गेह में, सरस्वती के गर्भ।
तीर्थराज की गोद में , लिखा जन्म संदर्भ।।

एम ए बीएड पूर्ण कर, बनीं शिक्षिका आप।
कविता लेखन से बनी, सब के दिल में छाप।।

संपादन में रुचि बड़ी, पत्रकारिता शौक।
सारे गुण शुभ देखकर, सब जाते हैं चौंक।।

पल्लव पुस्तक आपकी, देती है यह सीख।
संस्कार से हीन को, मांगे मिले न भीख ।।

पिता, तिरंगा, सत्य, शक, विषय चुने अनुकूल।
पल्लव के अंदर छुपे, रंग बिरंगे फूल।।

साझा संग्रह आपके, अब तक छपे अनेक।
रचनाएं साहित्य का, करती हैं अभिषेक ।।

अमालेस में भूमिका, बढ़े आपकी खूब ।
ज्यों बरगद की जड़ बढ़े,अरु धरती में दूब ।।

पुरस्कार से घर भरा ,भरा ह्रदय में प्यार।
काव्य पाठ में ओज रस, की होती बौछार।।

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