सिंचाई के मुख्य अभियंता, लेविल-1 का सघन दौरा
रिपोर्ट : सलिल पांडेय
मीरजापुर, (उ0प्र0) : गोमुख से निकली मां गंगा विंध्यक्षेत्र में आते ही आध्यात्मिक एव सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं। प्रथमतः उन्हें विन्ध्यपर्वत को देखकर अपने पिता हिमपर्वत की याद आती हैं। पौराणिक कथाओं (शिवपुराण) के अनुसार माता पार्वती के विवाह में जिन 12 पर्वत-राजाओं को निमंत्रण मिला था, उसमें विन्ध्यपर्वत भी उल्लेख मिलता है।
आर्य एव अनार्य संस्कृति का एकीकरण
विन्ध्यपर्वत के दक्षिणी हिस्से में अनार्यों का बोलबाला था, जो पर्वत पर पशुओं का भक्षण एवं वन-पदार्थों से महादेव की पूजा करते थे लेकिन गंगा के आने के बाद उत्तरी हिस्से में गंगा का बालू उपलब्ध हुआ और उस बालू से वेदिका बनाकर यज्ञ-हवन पद्धति की शुरुआत हुई। इस प्रकार कौथुमी (कुशसे पूजा) तथा जेमिनी शाखा (हवन से पूजा) का एकीकरण हुआ। गंगा काशी में बाबा विश्वनाथ से मिलने जाने के पहले एक बार मुड़ कर पुनः विन्ध्यपर्वत को देखा। पिता हिमालय का मित्र समझकर प्रसन्न हुई। DM बंगले के पास पश्चिममुखी होते हुए फिर उत्तरवाहिनी हुई। यहां वैदिक मंत्र गुं का आकार बना।
गंगा-कटान रोकने की पहल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर विधानसभा के शिवपुर एवं मझवा विधानसभा के चण्डिकाधाम की कटान रोकने के लिए क्रमशः साढ़े ग्यारह करोड़ एवं साढ़े चार करोड़ की स्वीकृति दी। वीडियो-कांफ्रेंसिंग से कार्य भी शुरू करा दिया।
दोनों विधायकों की बड़ी सफलता
इस कार्य में नगर विधायक रत्नाकर मिश्र एवं मझवां विधायक शुचिस्मिता मौर्य के प्रयास को अच्छी सफलता मिली है। गंगा कटान रोकने के लिए विगत 40 सालों में प्रयास के बावजूद सफलता जल्दी नहीं मिलती रही। इसके पूर्व जिले के सिंचाईमंत्री रहे स्व लोकपति त्रिपाठी को सफलता मिली थी जब एनडी तिवारी सरकार में उन्होंने SP आवास के सामने फतहा एवं बदलीघाट में पैचवर्क की स्वीकृति कराई थी।
नगर-विधायक से मांग
नगर के फ़तहाँघाट (SP आवास) के सामने घाट पर सीढियां बननी चाहिए। इसके लिए पूर्व DM सुशील कुमार पटेल ने लिखापढ़ी की थी। कचहरीघाट की सीढ़ियां बहुत ही पतली हैं। स्कूली छात्र-छात्राएं, वकील, सब्जी के विक्रेता, मजदूर भारी संख्या में आते जाते हैं। सकरी सीढ़ियों से स्नान एवं पूजा करने वालों को दिक्कत होती है।
सिंचाई के चीफ इंजीनियर, लेविल-1 भी सजग
घाटों को सुव्यवस्थित करनेकी सरकारी नीति के तहत प्रयागराज से आए मुख्य अभियंता, लेविल-1 जीवनराम यादव ने अपने विभाग के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। मिर्जापुर कार्यमण्डल के SE रमेश प्रसाद, सिंचाई खण्ड, चुनार एवं सिरसी बांध प्रखंड के EE द्वय हरिशंकर प्रसाद एवं मिथिलेश कुमार से घाटों की योजनाओं पर उन्होंने विचार-विमर्श किया।
सिल्ट-सफाई में पूर्ण क्वालिटी हो
बाणसागर गेस्ट हाउस में मेजा-जरगो डैम के मध्य की नहरों का स्थलीय निरीक्षण के बाद नक्शे, डिजाइन का अवलोकन कर मुख्य अभियंता ने कहा सिंचाईमन्त्री की मंशा स्पष्ट है। सिल्ट की सफाई में पूरी क्वालिटी के साथ काम हो। हर अभियन्ता अपने साइट के हर रीच की भौगोलिक स्थिति से सिर्फ परिचित ही न हो बल्कि एप्रुब्ड सिस्टम से कार्य भी हो। उन्होंने कहा कि वे एक एक साइट का नक्शे के हिसाब से खुद निरीक्षण करेंगे।