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UP Assembly Elections 2022: जाने अ‍ॅड.राजेन्द्र कुमार पाण्डेय का परिवहन व्यवस्था एवं अन्य मुद्दों को लेकर संबोधन…

✍️ आर.के.तिवारी

उत्तर प्रदेश : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जन समस्याएं हार-जीत में अहम रोल अदा करती आ रही हैं और इसीलिए चुनाव से पहले हर दल की कोशिश इन्हें दुरुस्त करने में ज्यादा होती रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी ‘हल जोतता किसान ‘ चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव जीतने का दावा कर रही है। इसे हासिल करने के लिए अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी अब हर जिले, तहसील व गाँव गाँव गली गली घर घर में प्रचार प्रसार सोशल मीडिया एवं नुक्कड़ मीटिंग कर अपने अपने चुनावी मेनिफेस्टो का व्यापक प्रचार प्रसार कर जन जन तक अपने संकल्प पत्रों को पहुंचा रही है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी  यूपी  चुनाव अभियान समिति  चेयरमैन एड. राजेन्द्र कुमार पांडेय का परिवहन व्यवस्था की खामियों एवं अन्य समस्याओं के निवारण रणनीति के साथ जनमत पाने हेतु  जन मानस को जगाने का प्रयास अपने सम्बोधन से कर रहे है।

एड. पांडेय ने कहा है कि अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 में अपने संकल्पों के साथ आपके बीच में राजनीतिक विकल्प के रूप में आई है। आज देश की हालत यह है कि देश की 80 प्रतिशत संपत्ति एक दर्जन पूंजीपतियों के कब्जे में पहुंच गई है और वही लोग सत्ता के बड़े सेठ,दलाल बने बैठे हैं और आम जनता गरीबी भ्रष्टाचार महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है। मेरा मानना है कि किसी भी देश की तरक्की के लिए तीन चीजें बेहद आवश्यक हैं। सड़क ,शिक्षा और स्वास्थ्य. आज सबसे पहले हम सड़क की बात करते हैं। सड़क से मेरा मतलब है ट्रांसपोर्टेशन से ,किसी भी तरह का हो चाहे सड़क ,रेल  या हवाई परिवहन हो रेल परिवहन अभी सरकार के पास में है। हवाई परिवहन में सरकार एवं कुछ बड़े घरानों का आधिपत्य है। हम सड़क परिवहन की बात करते हैं जिसका सीधा संबंध आम जनता से है।

परिवहन की बढ़ती लागत की वजह से उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं। बढ़ती महंगाई का कारण अनियंत्रित पेट्रोलियम ईधन के बढ़ते दाम गाड़ियों पर अनावश्यक रोड टैक्स भारी भरकम टोल टैक्स। ऊपर से आरटीओ एवं पुलिस की जबरदस्ती वसूली अंतर्राज्यीय परिवहन पर हजारों रुपयों की जबरदस्ती वसूली जिसका सरकारी खजाने से कोई लेना देना नहीं है जिससे पूरी परिवहन व्यवस्था चौपट हो रही है जिसका बोझ आम जनता के ऊपर पड़ रहा है। इस व्यवसाय में छोटे ट्रांसपोर्टर ड्राइवर और उनसे जुड़े लोगों के परिवार हैं जो इस त्रासदी के शिकार हो रहे हैं और बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार की वजह से इनके लिए बैंकों का मासिक किस्त चुकाना और परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है। विडंबना यह है कि न तो सरकार की इस पर कोई योजना है न ही इच्छाशक्ति। जबकि करोना  महामारी के समय में सड़क परिवहन से जुड़े लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश की सेवा की है..

अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी इस संकल्पना के साथ आपके बीच में है कि एक्साइज ड्यूटी को कम करके डीजल और पेट्रोल  को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। अब पूरे देश में पेट्रोलियम पदार्थों की एक निश्चित कीमत हो। टोल टैक्स की लूट बंद हो और इन्हें सड़क से हटाया जाए। अब पूरे देश में बैरियर फ्री आवागमन हो जिससे सड़कों पर जाम की समस्या समाप्त हो। ई चालान बंद हों और पुलिस आरटीओ के भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगे। देश की इस पालिसी को बदलकर बेहतर मेंटिनेंस के साथ गाड़ियों की बीस साल की परमिट हो जिससे छोटे व्यापारी हों या एक दो गाड़ियों के मालिक उनके परिवार का पालन पोषण हो सके।

मेरा मानना है कि यदि सड़क पर प्रभावी नियंत्रण हो जाए तो महंगाई पर भी नियंत्रण हो सकता है आसानी से उपभोक्ता वस्तुएं देश में इधर से उधर ले जाई जा सकती हैं और ढुलाई भाड़ा कम होने की वजह से वस्तुओं के मूल्यों पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है। ऐसा सिर्फ हम नहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था भी कहता है उनके बनाए नियम कहते हैं कि तेजी से बढ़ते अर्थव्यवस्था के बीच में यदि देश को आगे लेकर जाना है तो सड़क रेल और हवाई यातायात को प्रभावी बनाना पड़ेगा।

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